नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि बाबा साहेब अम्बेडकर की शिक्षाओं पर अमल करते हुए सरकार हर योजना में सामाजिक न्याय और समानता का अधिकार देने के लिए कृत संकल्प है। दशकों से जो असामाजिक असंतुलन बना हुआ था। उसे सरकारी योजनाओं के जरिए दूर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को बाब साहेब अम्बेडकर की 127वीं जयंती की पूर्व संध्या पर दिल्ली के अलीपुर में बाबा साहेब के राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन करने के अवसर अपने संबोधन में कहा कि यह स्मारक एक असाधारण व्यक्ति के असाधारण जीवन का प्रतीक है, ये स्मारक, मां भारती के होनहार सपूत के आखिरी दिनों की यादगार है। उन्होंने कहा कि यह सौभागय की बात है कि आज हमें बाबा साहेब जुड़े 5 स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित करने का अवसर मिला है। महू में बाबा साहेब की जन्मभूमि लंदन में डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियल- उनकी शिक्षाभूमि नागपुर में दीक्षाभूमि मुंबई में चैत्य भूमि दिल्ली में उनकी महापरिनिर्वाण भूमि विकसित की गई है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि बाबा साहेब की विचार धारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित रही है। वे सम्मान की समानता, कानून की समानता, मानवीय गरिमा की समानता और अवसर की समानता के हिमायती थे। ‘हमारी सरकार बाबा साहेब के मार्ग दर्शन पर चलते हुए सामाजिक संतुलन स्थापित करने का निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार ने 2015 में दलितों पर होने वाले अत्याचारों की सूची का दायरा बढ़ाते हुए इसमें कुछ ओर अपराधों को जोड़कर इनकी संख्या 47 कर दी है। उन्होंने कहा जब उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च को इस अधिनियम से जुड़ा फैसला दिया, तो सिर्फ 12दिन में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल कर दी गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे इस अवसर पर देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि जिस कानून को उनकी सरकार ने ही सख्त बनाया है, उसे किसी तरह भी कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे जिस न्यू इंडिया’ की बात करते हैं वह बाबा साहेब के भी सपनों का भारत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन जिस तरह की घटनाएं बीते दिनों में देखीं हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। उन्होंने कहा कि वे देश को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि कोई अपराधी बचेगा नहीं, न्याय होगा और पूरा होगा। हमारे समाज की इस आंतरिक बुराई को खत्म करने का काम,हम सभी को मिलकर करना होगा।
भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश में मऊ में 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था और वह स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। 1 नवम्बर, 1951 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद, डॉ. अम्बेडकर 26, अलीपुर रोड, दिल्ली में सिरोही के महाराजा के घर में रहने लगे जहां उन्होंने 6 दिसम्बर, 1956 को आखिरी सांस ली और महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। आज प्रधानमंत्री ने जिस स्मारक का उद्घाटन किया है उसे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2 दिसम्बर, 2003 को बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में राष्ट्र को समर्पित किया था। बाबा साहब के अनुयायी उस स्थान को पवित्र मानते हैं जहां उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। चूंकि इस इमारत को संविधान निर्माता बाबा साहब के स्मारक के रूप में निर्मित किया गया है, इमारत को पुस्तक का आकार दिया गया है।
इस इमारत में एक प्रदर्शनी स्थल, स्मारक, बुद्ध की प्रतिमा के साथ ध्यान केन्द्र, डॉ. अम्बेडकर की 12 फुट की कांस्य प्रतिमा है। प्रवेश द्वार पर अशोक स्तम्भ (11 मीटर) और पीछे की तरफ ध्यान केन्द्र बनाया गया है। इसमें सीवेज शोधन संयंत्र (30 केएलडी), वर्षा जल सिंचाई प्रणाली और नेट मीटरिंग के साथ छत पर सौर ऊर्जा (50 किलोवाट) संयंत्र स्थापित किया गया है। इमारत 7374 वर्ग मीटर क्षेत्र में खड़ी की गई है और इसका कुल निर्मित क्षेत्र 6758 वर्ग मीटर है।
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.