20 साल से इंसाफ की आस में बैठे नरोदा गांव के उन परिवारों की उम्मीद टूट चुकी है. जिन्होंने साल 2002 में गुजरात में हुए कत्लेआम में अपनों को खो दिया था. अहमदाबाद की एक कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल समेत सारे 69 आरोपी अब समाज के माननीय नागरिक हैं. कोर्ट के इस फैसले से हजारों परिवारों का इतने सालों का इंतजार बेकार चला गया.
इतिहास की किताबों से भले ही उस अध्याय को मिटा डाला गया हो लेकिन यह बात भारत की धरती पर लिखी हुई है कि नरोदा गांव के 11 अल्पसंख्यकों को भेड़ बकरियों की तरह खत्म कर दिया गया था. केस में 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था, इनमें से 28 लोगों की सुनवाई के दौरान ही जान जा चुकी थी.
अदालत ने सुनाया फैसला
अहमदाबाद की विशेष अदालत ने एस आई टी मामले के विशेष अदालत के उस फैसले को बदल दिया जो उसने 2012 में दिया था, बिल्किस बनो पर टूटने वाले गिद्धों के बाद मुसलमानों के हिस्से में आया यह दूसरा सदमा है. चलिए अब मामले को थोड़ा विस्तार से समझाते हैं, साल 2002 में जो गुजरात में हुआ वह तो आपको जरूर पता होगा, उसी दौरान बिलकिस बानो के साथ 11 लोगों ने दुष्कर्म किया था, उसके परिवार के 7 लोगों की जान ले ली थी, लेकिन पिछले साल 15 अगस्त को उन दोषियों को रिहा कर दिया गया. इस फैसले ने मुस्लिम समुदाय को ही नहीं सभी को आहत किया था. देश ही नहीं दुनिया भर में गुजरात सरकार की आलोचना हुई, बिल्किस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इंसाफ मिल जाने के बाद इंसाफ कुचल देने के बाद और फिर से इंसाफ पाने की उम्मीद में दूसरी लड़ाई लड़ रही हैं. मुस्लिम समुदाय इस झटके से उबर नहीं पाया था कि अब उसे एक और झटका लग गया.
गोधरा कांड के खौफनाक आरोपी
आपको याद होगा कि गोधरा कांड के अगले दिन यानी कि 28 फरवरी से एक विशेष समुदाय के लोगों को मारा जाने लगा था, मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की जान चली गई थी, अपनों को खो चुके लोगों को यह उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा, इस उम्मीद में 20 से ज्यादा साल बीत गए, अब फैसला आता है कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
लेकिन इस स्थिति को देख कर यह सवाल तो उठता है कि अगर किसी ने किसी को नहीं मारा तो 11 लोगों की जान गई कैसे? इतने मुस्लिम परिवार बेघर कैसे हो गए? कितनों ने अपनों को खो दिया और न जाने कितने परिवार आज भी खौफ के साए में जी रहे हैं.
Aditya Soni (MJMC II)
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