16 July 2020,Sahil Saini
महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं समेत कुल 3 लोगों की हुई निर्मम हत्या के मामले में जांच कर रही सीआईडी ने दहाणु कोर्ट में दो अलग-अलग चार्जशीट दाखिल की हैं. सीआईडी ने 126 लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट 4995 पन्नों की जबकि 5921 पन्नों की दूसरी चार्जशीट अदालत में दाखिल की. CID ने अफवाह को घटना की मुख्य वजह माना है. मामले में अब तक 165 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साधुओं की हत्या के मामले में 808 संदिग्धों से पूछताछ हुई.
खास बात ये रही की इस चार्जशीट के मुताबिक, सीआईडी ने अपनी जांच में माना कि पालघर साधु हत्याकांड के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं था बल्कि कुछ अफवाहों को ही दिल दहला देने वाले इस हत्याकांड की मुख्य वजह बताया. सीआईडी के मुताबिक, इस इलाके में कुछ दिनों से ऐसी अफवाह थी कि “कुछ लोग बच्चों को किडनैप कर उनके शरीर से किडनी जैसे अंग निकलने के लिए साधु, पुलिस या डॉक्टर के भेष में आ सकते हैं. इसी अफवाह के चलते स्थानीय लोगों ने इन संतों को किडनैपर समझकर साधुओं पर जानलेवा हमला किया. महाराष्ट्र राज्य सरकार ने साधुओं की हत्या और मॉब लिंचिंग के लिए सांप्रदायिक कारण को खारिज कर दिया था.
गौरतलब है कि पालघर के गड़चिंचले गांव में 16 अप्रैल की रात को हुई वारदात के वीडियो ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. घटना के एक वीडियो में 65 वर्षीय महंत भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए पुलिस का हाथ थामे चल रहे थे लेकिन पुलिसकर्मी ने इनका हाथ छुड़वाकर कथित रूप से उन्हें भीड़ को सौंप दिया. इसके बाद इस भीड़ ने जूना अखाड़े के दो साधुओं महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष), 65 वर्षीय महंत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 30 वर्षीय ड्राइवर निलेश तेलगडे की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
संत अपने एक साथी के अंतिम संस्कार के लिए गुजरात के सूरत जाने के लिए किराए की गाड़ी में मुंबई के कांदिवली इलाके से रवाना हुए थे. बहरहाल संत समुदाय में आशंकाओं के कारण, इस मामले को सीबीआई या एनआईए जैसी एजेंसी को ट्रांसफर करने के लिए कुछ याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं.
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