आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं कट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं,ये आप ही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपनी चीज़ें चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं. आप दुःख चुनते हैं. आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं. आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं. आप साहस चुनते हैं. आप डर चुनते हैं. इतना याद रखिये कि हर एक समय , हर एक परिस्थिति आपको एक नयी चीज़ देती है. और ऐसे में आपके पास हमेशा ये चांस होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और पॉजिटिव रिजल्ट निकाले.
प्रोएक्टिव बनिए- प्रोएक्टिव होने का मतलब है कि अपनी लाइफ के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप इस बात को समझे की आप जिम्मेदार है. आपको अपनी जिम्मेदारियों का पता होना चाहिए. वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स, परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं. उन्हें पता होता है कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं.
अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें- तो आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. ईमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हासिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती है– ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
हमेशा जीत के बारे में सोचें- हम मे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों से तुलना और स्पर्धा के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. सफलता को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वास से लबरेज़ भी होना होगा. आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.
ताल-मेल बैठाना-रचनात्मक सहयोग देना. यह टीम वर्क है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक प्रोसेस है, और उसी प्रोसेस से, लोग अपने अनुभव और विशेषज्ञों को उपयोग में ला पाते हैं. अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छा रिजल्ट दे पाते हैं.
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