नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर चल रही बहस के बीच वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि यह मामला अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान के जैसा आस्था का मामला है।
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आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक मामले में अपनी पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अयोध्या भगवान राम का जन्म होना एक आस्था का विषय है, इसमें किसी तरह की संवैधानिक नैतिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक की प्रथा 1400 साल से मुस्लिम समुदाय में चल रहा है। इस कारण से इसे गैर इस्लामिक करार देने के बारे में कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब आस्था का सवाल हो तो इसे संवैधानिक ही नहीं नैतिकता और समानता का सवाल कहां खड़ा किया जा सकता है। कपिल सिब्बल ने अपनी दलील देते हुए यह भी कहा कि अगर निकाह और तलाक को कांट्रैक्ट है तो इस मामले में किसी को समस्या होने का सवाल ही नहीं उठता है। जबकि तीन तलाक 14सौ वर्षों से इसका पालन किया जा रहा हो।
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कपिल सिब्बल की दलीलों पर न्यायमर्ति आर.एफ. नरीमन ने सवाल उठाया कि क्या आपका मतलब यह है कि अदालत को इस मामले में सुनवाई ही नहीं करनी चाहिए, तो सिब्बल ने इस पर हामी भरी।
कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत में यह भी कहा कि संविधान में सभी धर्मों के निजी कानूनों को पहचान दी गई है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं में दहेज प्रथा को ही ले लिया जाये। इसके लिए दहेज उन्मूलन एक्ट लाया गया है लेकिन हिंदुओं में दहेज अभी भी लिया जा रहा है। इससे जाहिर है कि इस प्रथा को हिंदुओं का संरक्षण मिल रहा है। जब हिंदुओं में दहेज प्रथा को संरक्षण मिल रहा है तो मुसलमानों के मामले में इसे क्यों नकारा जा रहा है। अदालत में तीन तलाक मामले में सुनवाई जारी है।
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