नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्भया फंड मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को फटकार लगाई है|हलफनामे पर रेप पीड़ितों का नाम और उनका पूरा ब्योरा देने पर सुप्रीम कोर्ट खासा नाराज़ हुआ है| अब पश्चिम बंगाल के महिला एवं बाल कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव और उत्तराखंड के गृह विभाग के अलावा सचिव को भी कोर्ट में अगली तारिख के लिए तलब किया गया है|
कोर्ट ने खासी नाराज़गी हलफनामे दाखिल करने वाले वाले वकीलों की तरफ दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यह ब्यौरा देना कानून के बिलकुल विपरीत है और पूरी तरह आपत्तिजनक है और जिन राज्यों में अभी तक हलफनामे दाखिल नहीं किये है ,उन्हें दो हफ्तों के अंदर दाखिल करने के निर्देश दिए है | इस मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद हैं |
पिछली बार की सुनवाई में कोर्ट ने मध्य प्रदेश को फटकार लगाते हुए पूछा था की” क्या आपकी नज़रो में रेप पीड़ितों की कीमत सिर्फ 6500 रुपये है जो उनको सिर्फ इतनी ही राशि का निर्भया फंड दिया जा रहा है | उन्होने कहा की यह कोई चैरिटी नहीं है जो आप इस तरह के जुल्मो की शिकार हुई मासूम जानों को दे रहे है, क्या आपकी सरकार के पास रेप पीड़ितों को देने के लिए केवल 6 हज़ार 500 रूपये |”
उन्होने आगे बोला की “राज्य में 1951 रेप के मामले दर्ज है और आपके द्वारा रेप पीड़ितों को सिर्फ 6 हज़ार या 6 हज़ार 500 रुपये दिए जा रहे है|सुप्रीम कोर्ट ने कहा की निर्भया फंड का सबसे बढ़ा हिस्सा मध्य प्रदेश राज्य को दिया जाता है पर तब भी सरकार 1951 पीड़ित महिलाओ को अब तक केवल 1 करोड़ रुपये ही मुआवज़ा दे पायी|
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