सिजोफ्रेनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है जो हमे चीजों के न होते हुए भी होने का एहसास दिलाती है. ये एक व्यक्ति के सोचने, काम करने, भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता को ख़तम या बिल्कुल कम कर देता है.
इस बिमारी में एक व्यक्ति के कल्पना और सच्चाई में फर्क नही कर पाते है पीड़ित व्यक्ति हमेशा डरा हुआ महसूस करता है. सिजोफ्रेनिया को ठीक नही किया जा सकता है और यह बीमारी हर व्यक्ति और हर उम्र के पुरुष व महिला को हो सकता है.
सिजोफ्रेनिया के प्रकार
पैरानाइड सिजोफ्रेनिया – इसमें व्यक्ति को बहुत ज्यादा भ्रम और वहम होते है . वो बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है और यह जल्दी चिंतित भी हो जाते हैं.
अव्यवस्थित सिजोफ्रेनिया – इसमें व्यक्ति विषय से हटकर बात करते है या जो भी पूछा जाता है उससे जो भी पूछा जाता है उससे अलग जवाब देता है.
कैटाटनिक सिजोफ्रेनिया – व्यक्ति घबराया हुआ दिखता है और अक्सर बातों को दोहरते है.
सिजोफ्रेनिया के लक्षण
- इसमें व्यक्ति के सोचने और बोलने की क्षमता में बदलाब आता है.
- व्यक्ति का थोड़ी – थोड़ी देर में मूड बदल जाता है.
- वह सुस्त और भ्रम की स्थिति मे रहता है और अजीब -अजीब चीज़े महसूस करने लगता है.
- जीवन के प्रति निराशा का भाव रखता है.
- ऐसी चीज़े बोलते है जिसकी उनको समझ ही नहीं होती है.
सिजोफ्रेनिया के उपाय
- अपने परिवार के चिकित्सक या एक सामान्य चिकित्सक से संपर्क करें.
- दवाओं के साथ सामाजिक और सामुदायिक सपोर्ट उपचार में अहम भूमिका होती है.
- रोगी को शांत करने और तनाव को कम करने के तरीके बताये.
- एक्सरसाइज, फोकस और ऊर्जा को बढ़ाने और रोगियों को शांत महसूस करने में मदद करती है.
- रोगी को आठ घंटे से अधिक की नींद की सलाह दी जाती है.
कोई भी इस बीमारी को लेकर किसी भी प्रकार के अंधविश्वास पर यकीन ना करें. यह किसी भी प्रकार का अंधविश्वास नही है बल्कि एक मानसिक बीमारी है.
Anuradha Kashyap (BJMC-II)
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