हिंदुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर विराजमान था जिसे मुगल अIक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहां एक मस्जिद बना दी। भारतीय जनता पार्टी की अगुआई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहां एक नया मंदिर बनाने के लिए एक लंबा आंदोलन चला।
क्या है मामला
1853 में इस जगह के आस-पास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रकाशन ने विवादित जगह के आस-पास बाद लगा दी। मुसलमानों को धनचे के अंदर या हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करनी चाहिए करने की इज्जत दी गई. साल 1949 में असली विवाद शुरू हुआ जब 23 दिसंबर 1949 को जब भगवान राम की मूर्तियाँ मस्जिद में पाई गईं। इस स्थान को भगवान राम का
पारंपरिक जन्मस्थान माना जाता हैI महंत रघुबर दास ने 1885 में राम चबूतरे पर छतरी लगाने की याचिका लगाई थी, जिसे फैजाबाद की जिला अदालत ने ठुकरा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
134 साल से 3 अदालतों में इस विवाद से जुड़ी याचिकायो पर सुनवाई के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। फिर पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी सुनवाई के बाद अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था। 100 सालो से ज्यादा समय से चल रहे इस विवाद को तत्कालीन प्रधान न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में इस पर फैसला सुनाया गया है कि विवादित जमीन पर हक हिंदुओं का है और अब 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मंदिर का उद्घाटन किया जाना है।
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