प्रख्यात शिक्षाविद और वैज्ञानिक यशपाल दिल्ली से सटे नोएडा में मंगलवार को निधन हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। कॉस्मिक किरणों को उनकी विज्ञान की दुनिया में बड़े योगदान के तौर पर देखा जाता है। इतना हीं नहीं उनका नाम देश के बड़े साइंस कम्युनिकेटर्स में भी शुमार है।

प्रोफ़ेसर यशपाल ने अपना करियर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से शुरू किया था। प्रोफ़ेसर यशपाल 1986 से 1991 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन भी रहे। प्रोफ़ेसर यशपाल को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। 26 नवंबर, 1926 को झांग (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर) में जन्मे यशपाल की परवरिश हरियाणा के कैथल में हुई।
यशपाल ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1949 में फिजिक्स में मास्टर्स किया और 1958 में उन्होंने मैसेचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी से फिजिक्स में ही पीएचडी की उपाधि हासिल की। यशपाल उन लोगों में से थे जिन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जा सकता है।
साल 1972 में भारत सरकार ने पहली बार अंतरिक्ष विभाग का गठन किया, जिसमें प्रोफेसर यशपाल को स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के डायरेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
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