मुंबई। देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुड़गांव जो अब गुरुग्राम के नाम से जाना जाता है. एक बच्चे की हत्या ने देश के हर एक कोने में सनसनी फैला दी है। जाने-माने गीतकार और अब सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने सोशल मीडिया में बचपन पर एक कविता शेयर की है।

prasoon-Joshi
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न ठाकुर (7 वर्षीय) की बीते शुक्रवार को स्कूल परिसर में चाकू से गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। उसका शव स्कूल के वॉशरूम में पाया गया था। इस ख़बर ने देश को हिला कर रख दिया है। हालांकि,बच्चों की सुरक्षा की चिंता की बात देश भर में एक नयी बहस शुरू हो गयी है। ऐसे में प्रसून जोशी की यह कविता काबिलेगौर है!
जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे, जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी, बाहर आने से घबराने लगे, समझो कुछ ग़लत है। जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें, जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे, समझो कुछ ग़लत है। जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं, हथियारों की नोंक पर थमना हो, जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो, समझो कुछ ग़लत है जब किलकारियाँ सहम जायें जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ समझो कुछ ग़लत है। कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी पूरी दुनिया में हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू रोना चाहिये था, ऊपरवाले को आसमान से फूट-फूट कर शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें! शोक नहीं सोच का वक़्त है मातम नहीं सवालों का वक़्त है। अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान तो समझो कुछ ग़लत है. प्रसून जोशी की यह कविता सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। बॉलीवुड के गीतकार और लेखक हमेशा ऐसे मौकों पर अपनी बात मजबूती से रखते देखे गए हैं। प्रद्युम्न की मौत के बाद उनके परिजन समेत आज सारा देश सदमे में है। ऐसे में प्रसून जोशी की यह कविता एक तल्ख़ सच्चाई बयां करती है।
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