मोदी सरकार ने 1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) का शुभारंभ किया था और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तेल विपणन कंपनियां जैसे-आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल के देश भर में फैले अपने वितरकों के नेटवर्क के माध्यम से इसे लागू कर रहा है। पीएमयूवाई के माध्यम से, प्रारंभ में, 5 करोड़ बीपीएल परिवारों को 31 मार्च, 2019 तक बिना किसी जमा राशि के मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अपने प्रारंभ के 28 महीनों के ही रिकार्ड समय में, पीएमयूवाई ने 5 करोड़ बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का प्रारंभिक लक्ष्य हासिल कर लिया है। इस योजना की अपार सफलता को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में 12,800 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ 8 करोड़ का लक्ष्य संशोधित किया गया। उत्तर प्रदेश (87 लाख), पश्चिम बंगाल (67 लाख), बिहार (61 लाख), मध्य प्रदेश (45 लाख), राजस्थान (37 लाख) और ओडिशा (30 लाख) जैसे राज्य प्रदान किए गए कनेक्शन का लगभग 65 फीसदी हैं। लाभार्थियों में 47 प्रतिशत हिस्सा कमजोर वर्गों अर्थात् एससी/एसटी का है।
पीएमयूवाई को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन्डोर स्वास्थ्य प्रदूषण दूर करने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन माना है, जिसके कारण देश में एक वर्ष में लगभग 10 लाख मौतें होती थी। पीएमयूवाई का लक्ष्य गरीब परिवारों को खाना पकाने के लिए स्वच्छ-ईंधन प्रदान करना है, इससे इन परिवारों को इनडोर (अंतरीय) वायु प्रदूषण से जुड़े विभिन्न स्वास्थ्य खतरों से निजात मिली है और उनके जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार आए हैं। पीएमयूवाई को सभी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया है। लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना सूची -2011 के आधार पर किया गया है और ऐसे मामलों में जहां नाम एसईसीसी सूची के तहत शामिल नहीं हैं तो ऐसे लाभार्थियों की पहचान सात श्रेणियों-एससी/एसटी, पीएमएवाई (ग्रामीण) के लाभार्थियों, अंत्योदय अन्न योजना, सबसे पिछड़ा वर्ग, वन निवासियों, द्वीप/नदी द्वीप समूह के निवासियों और चाय बागान और पूर्व-चाय बागान जनजातियों के आधार पर की जाती है।
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