उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के करीब दो महीने बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने अपनी ही पार्टी के बड़े नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से बाहर कर दिया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे और उनके बेटे को बाहर करने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि इन दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और चुनाव के दौरान पैसे लेने का गंभीर आरोप हैं.
बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने पत्रकारों से बातचीत में नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव के दौरान लोगों से पैसे लिए थे, और पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से निर्वहन नहीं किया। साथ ही सतीश चंद्र ने उन पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेनामी संपत्ति बनाने का भी आरोप लगाया। आगे उन्होंने कहा कि इनके कई अवैध बूचड़खाने भी चल रहे हैं, जिसके चलते पार्टी की छवि खराब हो रही थी। सतीश चंद्र ने नसीमुद्दीन पर पार्टी के नाम पर अवैध वसूली का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने विधानसभा चुनाव में योग्य प्रत्याशियों को टिकट देने के बजाय ज्यादा पैसे देने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिए, जिसका पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
पार्टी से निकाले जाने के तुरंत बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पलटवार करते हुए कहा कि वो जल्द ही मायावती के खिलाफ बड़ा खुलासा करेंगे।
बता दें कि 1995 में जब मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनी थी तो नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी 2007 में भी मायावती सरकार में मंत्री रहे।
गौरतलब है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी का विवादों से हमेशा से एक गहरा नाता रहा है, पिछले साल इन्होने बीजेपी नेता दयाशंकर कि पत्नी और बच्चो के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था जिसके कारण जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था और दयाशंकर कि पत्नी ने उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था।
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