“क्रोध को शांति से जीते,
दुष्ट को साधुता से जीते,
कृपण को दान से जीते और असत्य को सत्य से जीते”
महावीर जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म बिहार के कुंडा ग्राम में हुआ था. भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था.
जिनके द्वारा दिए कथन अनुसार
खुद पर विजय प्राप्त करें क्योंकि यह एक चीज लाखों शत्रु पर विजय पाने से बेहतर है. कहा जाता है कि 30 वर्ष की आयु में इन्होंने राजमहल के सुख त्याग कर सत्य की खोज में जंगलों की ओर चले गए घने जंगलों में रहते हुए. इन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की जिसके बाद त्रिबाजुलाका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्ति हुई थी.
महावीर जयंती के महत्व
जैन संप्रदाय के लोगों के लिए महावीर जयंती बहुत ही खास मानी जाती है. कबीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग प्रभात फेरी, अनुष्ठान और शोभायात्रा निकालते हैं. भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्य के लिए पांच नियम स्थापित किए थे जिन्हें हम पांच सिद्धांत के नाम से जानते हैं
अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह
जयंती के दिन भगवान महावीर की पूजा की जाती है और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करके उनके सिद्धांतों पर चलने का प्रयास किया जाता है. सत्य के प्रकाश से प्रबुद्ध हो बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु से ऊपर उठ जाता है.
महावीर जयंती का विवश महावीर स्वामी का जन्मदिन मानकर मनाया जाता है. महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था. इनको जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है और जैन धर्म के ग्रंथों में इनके द्वारा की गई शिक्षाओं का वर्णन विस्तार से देखने को मिलता है. जैन धर्म में माना जाता है कि यह धर्म सभी धर्मों में सबसे प्राचीन धर्म है.
Chhaya Giri(BJMC II)
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.