उपराष्ट्रपति ने कहा कि विवाह एक पवित्र समारोह है और इसमें धन का प्रदर्शन और अन्न की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। विवाह में दिखावे का त्याग किया जाना चाहिए। नायडु विशाखापट्टनम के एमआरसी काकातिय सम्मेलन केन्द्र संबोधित कर रहे थे।
भारत जैसा देश अन्न की बर्बादी नहीं झेल सकता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अपने आसपास का माहौल स्वच्छ रखना चाहिए और सभी जगह स्वच्छता बनाए रखने के लिए इसे एक मिशन के रूप में लेना चाहिए। सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि किसी भी शहर को साफ और हराभरा रखने के लिए लोगों की भागीदारी, सहयोग और सहभागिता जरूरी है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राज्य सरकारों को ग्रुप ‘ए’ स्तर तक की नियुक्तियों में मातृभाषा को अनिवार्य बनाए जाने का सुझाव दिया है। विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय हाई स्कूल में एक कम्प्यूटर प्रयोगशाला तथा आरओ संयंत्र का उद्धाटन करने के बाद छात्रों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि देश में सांस्कृतिक पुनरोत्थान की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृति जीवनशैली है और धर्म पूजा की शैली है। उपराष्ट्रपति ने शिक्षा प्रणाली में आमूल सुधार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी जड़ों, विरासत, परम्पराओं, संस्कृति और मूल्यों की तरफ लौटना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि प्रकृति के साथ कैसे रहा जाए। उन्होंने कहा कि मेरे यहां प्रकृति की आदर करने की परम्परा है और हम पेड़ों, पशुओं और नदियों की उपासना करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में नैतिक मूल्यों का निरूपण करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व गुरु के रूप में जाना जाता था और दुनिया भर से लोग नालंदा, तक्षशिला जैसे प्राचीन शिक्षा केन्द्रों में अध्ययन के लिए आते थे। उन्होंने कहा कि आज एक बार फिर दुनिया भारत की ओर देख रही है। हमारी शिक्षा प्रणाली को ऐसे युवा पैदा करने चाहिए जो विश्व की चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ मुकाबला कर सकें। श्री नायडु ने कहा शिक्षा मजबूत, जानकारी से परिपूर्ण और ज्ञानवर्धन करने वाली होनी चाहिए।
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