खालिस्तान की स्थापना से सीमाओं के मसले उठ सकते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा के मुद्दे पर अधिक तनाव हो सकता है.

खालसा से बना खालिस्तान
ये बात भारत की आजादी के दौर की ही है जिसमें सिख समुदाय का बहुत बड़ा योगदान रहा है. सन् 1947 में भारत की आजादी और विभाजन की घोषणा के बाद से ही सिख समुदाय ने अपने लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र की मांग करना शुरू कर दिया था. जिसका नाम खालिस्तान पंजाब के जगजीत सिंह चौहान ने दिया था. अब सवाल यह उठाता है कि यह खालिस्तान शब्द की उपज कैसे हुई तो आपको बता दें खालसा शब्द अरबी भाषा के खालसी से बनाया है. जिसका अर्थ होता है शुद्ध. गुरु गोविंद सिंह ने सन् 1699 में सिख में खालसा पंथ की स्थापना की थी. खालिस्तान इसी खालसा से बना है और इसका मतलब है खालसाओं का राज. खालिस्तान आंदोलन के प्रधान तारा सिंह जिन्होने पहली बार खालिस्तान की मांग की थी. इसके बुरा से इस आंदोलन ने तेज़ी पकड़े और आज के समय में इसके अध्यक्ष अमृतपाल सिंह है. जिन्हें पुलिस अभी गिरफ्तार करने में असमर्थ है.

क्या होगा खालिस्तान की मांग करने वाले लोगों का? कौन करेगा खालिस्तान की मांग करने वाले लोगों का नेतृत्व? क्या खालिस्तान की मांग अच्छी है?
अगर खालिस्तान की स्थापना होती है, तो क्या होंगे अहम मुद्दे
सुरक्षा मामले: खालिस्तान की स्थापना से भारत की सुरक्षा मामले पर असर पड़ सकता है. सिख समुदाय के सदस्यों द्वारा भारत में संदिग्ध गतिविधियों के लिए अधिक तनाव हो सकता है.

अर्थव्यवस्था: खालिस्तान की स्थापना से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. पंजाब राज्य से खालिस्तान के बाहर बहुत सारी संबंधित औद्योगिक क्षेत्र हो सकते हैं, जो खालिस्तान से अलग हो जाएंगे.
राजनीति: खालिस्तान की स्थापना से भारतीय राजनीति पर भी असर पड़ सकता है. सिख राजनीति के नेताओं द्वारा भारत में नई दल या पार्टी की स्थापना हो सकती है.
विदेशी रिश्तों: खालिस्तान की स्थापना से भारत के विदेशी संबंधों पर भी.
Anishka Maheshwari (BJMC II)
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.