नई दिल्ली। हिंदी जगत की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया. केदारनाथ सिंह 84 वर्ष के थे. उनके परिवार में एक बेटा और पांच बेटियों को सदा के लिए पीछे छोड़ गए और पुरे परिवार के साथ हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर हैं परिवार के लोगों ने बताया की केदारनाथ सिंह को न्यूमोनिया का इलाज चल रहा था वहीँ भारतीय ज्ञान पीठ के डायरेक्टर लीलाधर- मंडलोई ने बताया, उनको कोलकाता में ही न्यूमोनिया हो गया था। उनका करीब एक महीने से इलाज चल रहा था। वे साल ठंड में अपनी बहन के यहां कोलकाता जाते थे
उनकी हालत में सुधार हुआ था लेकिन बाद में उनकी तबीयत बिगड़ गई।केदारनाथ सिंह को दिल्ली के साकेत और मूलचंद अस्पताल में एडमिट कराया गया था, बाद में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से उन्हें दिल्ली एम्स में शिफ्ट कर दिया गया।” एम्स सूत्रों ने बताया की उन्हें 13 मार्च को वहां लाया गया था।जिसके बाद हालत सुधार नहीं होने से कल अंतिम सांस ली
उनके निधन पर शोक जाहिर करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, “सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी के निधन के समाचार से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है. सरल भाषा में जीवन की जटिलताओं की अभिव्यक्ति करने की उनकी अनूठी शैली थी. उनके निधन से हिंदी जगत का एक सशक्त हस्ताक्षर मिट गया है. ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. ” हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था. वह हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं.
साल 2013 में केदारनाथ सिंह की सेवाओं के लिए उन्हें साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें इसके अलावा साहित्य अकादमी पुरस्कार और व्यास सम्मान सहित कई सम्मानों से पुरस्कृत किया गया था. उनकी प्रमुख कविता संग्रहों में ‘अभी बिलकुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’, ‘बाघ’, ‘अकाल में सारस’ और ‘उत्तर कबीर’ शामिल हैं.
मशहूर कवि और आलोचक थे केदारनाथ
– उनके कविता संग्रहों में ‘अकाल में सारस’, ‘बाघ’, ‘अभी बिल्कुल अभी’, ‘जमीन पक रही है’, ‘यहां से देखो’ और ‘टॉलस्टॉय और साइकिल’ प्रमुख हैं
उनके प्रमुख निबंध और कहानियां ‘मेरे समय के शब्द’, ‘कल्पना और छायावाद’, ‘हिंदी कविता में बिंब विधान’, और ‘कब्रिस्तान में पंचायत’ हैं।
केदारनाथ अपने सादे जीवन के लिए जाने जाते थे। उनकी कविताओं में रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े पहलू ही केंद्र में रहे। उनका अंतिम संस्कार कल दोपहर तीन बजे लोदी रोड स्थित शमशान घाट में किया जायेगा.
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