पोर्ट लुइस। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि विश्व हिंदी सचिवालय का काम अब आधुनिक तकनीक से युक्त इस नए भवन में शुरू हो जाएगा। इस यात्रा के दौरान मैंने आप सभी मॉरीशसवासियों की उस भावना की गहराई महसूस की है जिसके कारण आपने अपने देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के महत्वपूर्ण अवसर पर मुझे आमंत्रित करके अपनी खुशी हमारे साथ बांटी है।मैं भी एक सौ तीस करोड़ भारत-वासियों की ओर से आप सबको बधाई देता हूं और यह बताना चाहता हूं कि मेरे सभी देशवासी आप सब की खुशियों में दिल से शरीक होते हैं। भारत और मॉरिशस दोनों देशों के समाज औरसंस्कृति में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिंदी के माध्यम से विश्व भर में फैले आप्रवासी भारतीयों ने अपने संस्कारों और परम्पराओं को सहेजा है और आने वाली पीढ़ियों को इससे जोड़ा है। इसी कारण आज हिंदी विश्व के एक बड़े समुदाय के जीवन में घुली-मिली है।
लगभग दो सौ वर्ष पूर्व भारत से मॉरिशस आए प्रवासी भारतीयों के लिए हिंदी ने संघर्ष के दिनों में संबल दिया। आज मॉरिशस में हिंदी भाषा, घर की बैठकों से लेकर विश्वविद्यालय तक प्रयोग में लाई जा रही है। अनेक देशों में हिंदी बोल-चाल की भाषा है, शिक्षा और संस्कृति की भाषा है। सूरीनाम में हिन्दी में सूरीनामी का प्रभाव दिखता है, दक्षिण अफ्रीका में नेटाली का और यहां मॉरीशस में भोजपुरी का। रौवां सब हिन्दी के सेवा करे में बहुत आगे बानी।
अनेक देशों में, लगभग एक सौ पचहत्तर विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। पूरी दुनियां को एक परिवार समझने वाली ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना हिन्दी भाषा की सोच का हिस्सा है। इसी भावना के साथ हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1977 में, जनता सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए,संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिन्दी में ही दिया था। वह भाषण बेहद लोकप्रिय हुआ। पहली बार संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिन्दी की गूंज हुई। इसी वर्ष अगस्त के महीने में, मॉरिशस में ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा रहा है। भारत के अलावा मॉरिशस एकमात्र ऐसा देश है,जहां पर ये सम्मेलन तीसरी बार आयोजित होने जा रहा है। यह आप सबके गहरे हिंदी-प्रेम का प्रमाण है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि लगभग दो सौ वर्ष पूर्व जब आपके पूर्वज भारत से मॉरिशस आए थे तब उनके पास शोषण का सामना करने के लिए केवल साहस, धीरज,अपनी संस्कृति और आस्थाओं पर विश्वास और मेहनत की पूंजी थी। अपनी इसी पूंजी के बल पर उन्होंने पूरी दुनियां को अपने अस्तित्व का अहसास कराया और विश्व मानचित्र पर अपने देश मॉरीशस को एक अलग पहचान दिलाई। भावनात्मक एकता के ठोस आधार पर टिके हुए भारत और मॉरिशस के संबंधों को परस्पर सहयोग द्वारा निरंतर मजबूत बनाया जाता रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सन 2015 की यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को एक नया आयाम दिया है। आपके प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगनाथ के नेतृत्व में मॉरिशस सरकार ने भारत को अपनी विकास यात्रा में एक सहयोगी मित्र राष्ट्र माना है। आपके विकास में साझेदार बनकर हमें गौरव और प्रसन्नता का अनुभव होता है।इस साझेदारी से दोनों देशों के सम्बंधों में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है।
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