आवासीय शीतलन (कूलिंग) प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा ‘ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार’ की घोषणा नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ‘ग्लोबल कूलिंग इनोवेशन’ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में की गई। इसका उद्देश्य ऐसे आवासीय शीतलन (कूलिंग) प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाना है, जिसका जलवायु पर असर मानक रूम एयर कंडीशनिंग (आरएसी) की तुलना में न्यूनतम पांचवां हिस्सा ही होगा।
इस पुरस्कार के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं इसके साझेदार संगठनों यथा विद्युत मंत्रालय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के जरिए भारत सरकार के मिशन इनोवेशन द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। इसका संचालन प्रमुख अनुसंधान संस्थानों यथा रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई), कंजर्वेशन X लैब्स, द एलायंस फॉर एन एनर्जी एफिशिएंट इकोनॉमी (एईईई) और सीईपीटी विश्वविद्यालय के गठबंधन द्वारा किया जाएगा। यह गठबंधन अभिनव प्रौद्योगिकी के इन्क्यूबेशन, वाणिज्यीकरण और अंतत: व्यापक स्तर पर इसे अपनाने के प्रयासों को नई गति के साथ-साथ आवश्यक सहयोग भी देगा। इसका शुभारंभ भारत से किया जाएगा और बाद में विश्व भर के अन्य देशों में इसका विस्तार किया जाएगा। इस प्रतिस्पर्धा में विजेता या चयनित साबित होने वाली प्रौद्योगिकी की बदौलत वर्ष 2050 तक 100 गीगाटन (जीटी) के समतुल्य कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) के उत्सर्जन की रोकथाम हो सकेगी और इसके साथ ही दुनिया वर्ष 2100 तक ग्लोबल वार्मिंग में 0.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक की कमी करने के मार्ग पर अग्रसर हो सकेगी।
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ‘ग्लोबल कूलिंग इनोवेशन’ शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘निरंतर गर्म हो रहे जलवायु को ध्यान में रखते हुए सरकारों के लिए अब यह आवश्यक हो गया है कि वे अपने नागरिकों के स्वास्थ्य एवं तंदरुस्ती के लिए उन्हें चिलचिलाती गर्मी से बचाव की सुविधा प्रदान करें। इतना ही नहीं, यह सुविधा पर्यावरण अनुकूल ढंग से मुहैया करानी होगी। इन उद्देश्यों में संतुलन स्थापित करना अत्यंत संवेदनशील एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है। आने वाले समय में कूलिंग संबंधी व्यापक मांग को ध्यान में रखते हुए केवल वृद्धिपरक सुधार से अपेक्षित नतीजों के सामने आने की संभावना नहीं है। इस संदर्भ में वैज्ञानिक एवं तकनीकी समुदाय को आगे आकर व्यापक बदलाव सुनिश्चित करने वाले अभिनव उत्पादों को पेश करने की चुनौती का सामना करना चाहिए।’
ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार की पेशकश करने वालों के साथ-साथ इसके समस्त साझेदारों का धन्यवाद करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि स्वच्छ ऊर्जा से जुड़े अभिनव उत्पादों के वित्त पोषण के लिए और ज्यादा धनराशि उपलब्ध हो और इसके साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अभिनव प्रौद्योगिकियां विकसित करने वाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी का माहौल भी तैयार हो।
इस सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के. विजयराघवन ने कहा कि ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार की एक विशेष खूबी यह है कि इसके जरिए स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास हेतु निजी क्षेत्र की सहभागिता के लिए व्यावहारिक मॉडलों की पेशकश की गई है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) में सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा, ‘तीन साल पहले पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान मिशन इनोवेशन का शुभारंभ ठीक इसी उद्देश्य से किया गया था कि सरकारों, अन्वेषकों और निजी क्षेत्र के बीच नए गठबंधन हों, ताकि जलवायु से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में नवाचार संभव हो सके।’
सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर उपस्थित मिशन इनोवेशन की संचालन समिति के उपाध्यक्ष (वाइस-चेयर) श्री जॉन लोफहेड और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट में सीनियर फेलो श्री इयान कैम्पबेल ने ग्लोबल कूलिंग पुरस्कार के शुभारंभ पर खुशी जाहिर की और इसके साथ ही कुशल नेतृत्व के लिए भारत सरकार को बधाई दी।
दो वर्ष तक चलने वाली इस प्रतिस्पर्धा के दौरान पुरस्कार राशि के रूप में 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक की रकम प्रदान की जाएगी। मध्यवर्ती पुरस्कारों के तहत 10 चयनित प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियों में से प्रत्येक के लिए पुरस्कार के रूप में दो लाख अमेरिकी डॉलर तक की राशि दी जाएगी। इसका उद्देश्य संबंधित अभिनव आवासीय शीतलन प्रौद्योगिकी के डिजाइन के साथ-साथ इसके प्रारूप (प्रोटोटाइप) के विकास के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करना है। इस प्रतिस्पर्धा में विजेता साबित होने वाली प्रौद्योगिकी के लिए पुरस्कार के रूप में कम से कम एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि दी जाएगी, ताकि इसके इन्क्यूबेशन और आरंभिक चरण में इसके वाणिज्यीकरण में आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा सके।
वर्तमान में विश्व भर में 1.2 अरब रूम एयर कंडीशनिंग यूनिटें कार्यरत हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक रूम एयर कंडीशनिंग यूनिटों की संख्या बढ़कर कम से कम 4.5 अरब के आंकड़े को छूने लगेगी। अकेले भारत में वर्ष 2050 तक बाजार में एक अरब से भी अधिक रूम एयर कंडीशनिंग यूनिटों को पेश कर दिया जाएगा। आरामदेह कूलिंग प्रदान करने में होने वाली ऊर्जा खपत की भी गिनती जलवायु के लिए सर्वाधिक जोखिमपूर्ण माने जाने वाले कारकों (फेक्टर) में की जाती है और इस वजह से सर्वाधिक कमजोर एवं असुरक्षित मानी जाने वाली आबादी का स्वास्थ्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है।
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