डॉ. वेद प्रकाश वैदिक
पहले हर चुनाव के दौरान घोषणा-पत्र जारी होते थे। आजकल उन्हें संकल्प-पत्र और वचन-पत्र कहकर जारी किया जाता है। विभिन्न पार्टियों के घोषणा-पत्रों में उन पार्टियों की विचारधारा, नीतियों और कार्यक्रमों का विवरण हुआ करता था लेकिन भारत में कौन सी ऐसी पार्टी बची है कि जो कहे उसकी विचारधारा ये है। चुनाव के दिनों में तो बस एक ही विचारधारा होती है कि चुनाव कैसे जीता जाए ? उसके लिए जितनी झूठी-सच्ची जुमलेबाजी करनी हो, नेता लोग पूरी बेशर्मी से करते हैं। अभी पांच राज्यों में जो चुनाव हो रहे हैं, उनमें पता नहीं कितने हवाई किले बांधे गए हैं। यह जानना ही मुश्किल हो जाता है कि कौनसा घोषणा-पत्र किस पार्टी का है। कांग्रेस का वचन-पत्र पढ़ें तो ऐसा लगता है कि यदि वह सत्ता में आ गई तो वह हिंदुत्व की प्रखर समर्थक सिद्ध होगी। उसके नेता राहुल गांधी आजकल धोती और जनेऊ धारण करके शिवलिंगों पर दूध चढ़ाते हुए फोटो खिंचवाते हैं और कांग्रेस पार्टी को भाजपा से भी बड़ी गौसेवक बताते हुए सरकार को गोमूत्र विक्रेता बनाने का वादा करते हैं। जैसे 2014 में नरेंद्र मोदी ने हर भारतीय को 15 लाख रु. की फजी पुड़िया टिका दी थी, वैसे अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हर नागरिक को चावल एक रु. किलो देने का वादा कर रही है। बड़े-बड़े धन्ना-सेठों को अरबों-खरबों रु. बैंको से दिलवाकर डूबतखाते में डलवानेवाली कांग्रेस अब किसानों को कर्जमाफी की गोली दे रही है। मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस को शहरी नक्सलवादियों का संरक्षक बता रही हैं और राहुलजी उनको बैंक-लुटेरे सेठों का संरक्षक चित्रित कर रहे हैं। जो शब्द बोफोर्स को लेकर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कभी राजीव गांधी के लिए नहीं कहे, उनका प्रयोग मोदी के लिए किया जा रहा है। सभी पार्टियां मर्यादा भंग कर रही हैं। भारत का संविधान देश को धर्म-निरपेक्ष कहता है लेकिन सारी पार्टियां चुनाव की वेला में धर्म-सापेक्ष्य हो जाती हैं। जैसे कि सबरीमाला के मामले में हो गई हैं। सारे उम्मीदवार जातीय गणित के आधार पर तय किए जाते हैं और बोफोर्स व रेफल जैसे सौदे आखिर किसलिए किए जाते हैं ? चुनाव में पैसा पानी की तरह बहाने के लिए ! चुनाव के दिनों में नेताओं के खूबसूरत मुखौटे देखने लायक होते हैं। आपने देखा होगा कि घोर अहंकारी नेता भी आजकल कैसे झुक-झुककर प्रणाम कर रहे हैं। महकवि बिहारी ने क्या खूब कहा है-
नमन-नमन बहु अंतरा, नमन-नमन बहु बान
ये तीनों ज्यादा नवै, चीता, चोर, कमान ।।
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