भारत की राजधानी दिल्ली गंभीर और निरंतर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। पिछले कुछ वर्षों में, इस मुद्दे ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि शहर के निवासी जहरीली हवा में सांस लेना जारी रखते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। दिल्ली में प्रदूषण कई कारकों के कारण एक जटिल समस्या है और इसके समाधान के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
प्रस्तावन
दिल्ली के प्रदूषण संकट में प्राथमिक योगदानकर्ताओं में से एक वाहन उत्सर्जन है। शहर की सड़कें दोपहिया वाहनों से लेकर भारी ट्रकों तक सभी प्रकार के वाहनों से भरी हुई हैं। इनमें से कई वाहन पुराने मॉडल हैं जो आधुनिक उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करते हैं, जिससे वायुमंडल में हानिकारक प्रदूषक निकलते हैं। सड़क पर वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण भी भीड़भाड़ हो गई है, जिससे वाहन निष्क्रिय हो रहे हैं और अधिक प्रदूषक उत्सर्जित कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए दिल्ली ने ऑड-ईवन नियम, वैकल्पिक दिनों में वाहनों के उपयोग को प्रतिबंधित करने जैसे उपाय लागू किए हैं, लेकिन ये अस्थायी समाधान बहुत प्रभावी साबित नहीं हुए हैं।
दिल्ली में प्रदूषण का एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत औद्योगिक गतिविधि है। यह शहर विनिर्माण से लेकर निर्माण तक उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है, और ये गतिविधियाँ हवा में प्रदूषक छोड़ती हैं। जगह-जगह नियमों के बावजूद, प्रवर्तन अक्सर ढीला होता है, जिसके कारण औद्योगिक प्रदूषण अनियंत्रित हो जाता है।
प्रदूषणों के दुष्परिणाम
उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।
प्रदूषण के कारण
प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।
सुधार के उपाय
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
Lovely Kumari
BAJMC
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