नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में यूपीकोका कानून एक बार फिर से पेश किया। इससे पहले 21 दिसंबर 2017 को यह बिल विधानसभा में पेश हुआ था। विधान परिषद में सरकार के पास बहुमत न होने के कारण यह बिल पास नहीं हो सका था।
महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बने यूपीकोका (कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) विधेयक में आतंकवाद, हवाला, अवैध शराब कारोबार, बाहुबल से ठेके हथियाने, फिरौती के लिए अपहरण, अवैध खनन, वन उपज के गैरकानूनी ढंग से दोहन, वन्यजीवों की तस्करी सरीखे अनेक संगठित अपराधों में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।इसमें कम से कम सात साल कैद व 15 लाख रुपये का जुर्माना से लेकर सजा-ए-मौत व 25 लाख रुपए जुर्माना की सजा होगी।
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एटीएस द्वारा किए गए टेरर फंडिंग के खुलासे का जिक्र करते हुए कहा कि अपराध की प्रवृति और दायरा बढ़ने के साथ-साथ संगठित अपराध नियंत्रण की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश की सीमाएं खुली हैं और इन सीमाओं को देखते हुए आवश्यकता है कि आम जनमानस को सुरक्षा की गारंटी दे सकें। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह बिल दोबारा लेकर आए हैं।
विगत एक वर्ष में सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए सीएम योगी ने कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कड़े कदम उठाये गए हैं और इसके परिणाम भी सामने आए हैं। पिछली सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए सीएम ने कहा कि पहले त्योहार खुशहाली के बजाय भय का माहौल पैदा करते थे, लेकिन पिछले एक साल में सभी त्योहार और चुनाव शांति पूर्वक संपन्न हुए हैं।
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