नई दिल्ली- आज चिपको आंदोलन को 45 साल हो गए हैं। इस उपलक्ष्य में गूगल ने डुडले बनाकर इसे याद किया है। यह आंदोलन 1973 में मशहूर पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा और गौरा देवी के दवारा प्रारंभ किया गया था इस आंदोलन की शुरुआत उत्तराखंड के चमेली जिले से हुई थी। उस समय के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) स्थित अलकनंदा घाटी के मंडल गांव के लोगो ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी वन विभाग के ठेकेदारों ने जंगल के पेड़ काटने शुरू करदिये थे वनों को इस तरह देख किसान परेशान हो गए थे जिस वजह से किसानों ने ज़्यादा तादाद में इसका विरोध किया था और चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी
चिपको आंदोलन परिवार बचाओ आंदोलन माना जाता है किसानों ने ये आंदोलन पेड़ों की कटाई का विरोध करने के लिए शुरू किया था। इस आंदोलन की सबसे खास बात ये है कि उस समय पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं ने ज़्यादा तादात में भाग लिया था। कुछ ही समय में ये आंदोलन पूरे उत्तराखंड में फ़ैल गया था। इस आंदोलन के नाम से ही समझ अाता है कि जब भी कोई पेड़ों को काटने आता आंदोलनकारी पेड़ों से चिपक जाया करते इस आंदोलन की बड़ी सफलता रही इसने केंद्रीय राजनीति के अजेंडे में पर्यावरण को एक अहम मुद्दा बना दिया था
इस आंदोलन ने 1980 में बड़ी जीत हासिल की थी वहीं उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने पेड़ कटाई को १५ सालों के लिए रोक लगा दी थी। बाद में ये आंदोलन देश के हर हिस्से में फैल गया था जैसे कि बिहार, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और मध्य भारत वही ये आंदोलन पश्चिमी घाटों और विंध्य पर्वतमाला में भी काफी सफल रहा। साथ ही इस आंदोलन ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाया और उसकी अावश्कताओं के लिए संकेत दिए ताकि हमारा देश हरा भरा बना रहे।
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