नई दिल्ली. राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने लोकसभा अध्यक्ष के अऩुसंधान पहल की तीसरी वर्षगांठ पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि लोकतंत्र में संसद और विधानसभाओं की भूमिका परिचर्चा करने, बहस करने और निर्णय लेने की होती है। कभी-कभी इस प्रक्रिया में मतभेद उभर जाते हैं। परंतु मतभेद व्यक्त करने के दौरान भी सांसद सदस्यों और विधानसभा सदस्यों को मर्यादा का पालन करना चाहिए। पांच डी के संयोग से लोकतंत्र मजबूत होता है। ये पांच डी हैं- परिचर्चा, बहस, मतभेद, मर्यादा और निर्णय।
राष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि संसद के सभी सदस्य एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करें और गरिमा बनाए रखें। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही लाइव प्रसारित की जाती है। लोग यह आशा करते हैं कि संसद में उनकी समस्याओं और विकास की योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। यह संसद का उत्तरदायित्व है कि वह हमारे नागरिकों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रयास करे।
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