नई दिल्ली. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चरमपंथ को रोकने के प्रयासों में स्वयं सेवी संगठनों तथा महिला संगठनों सहित सामाजिक और धार्मिक समूहों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह आज यहां साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए राष्ट्रीय फाउंडेशन (एनएफसीएच) की संचालन परिषद की 21वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक आबादी वाला दूसरा देश होने के बावजूद भारत नगण्य रूप से ही चरमपंथ से प्रभावित है। इसका पूरा श्रेय अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक गुरूओं तथा अपने देश की मिली-जुली संस्कृति और परम्परा को जाता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि साम्प्रदायिक सद्भाव एक ऐसा विषय है, जो न केवल गृह मंत्रालय से जुड़ा है, बल्कि इस विषय से प्रत्येक व्यक्ति का संबंध भी है। यह हमारे संपूर्ण देश की विशेषता है। उन्होंने कहा कि हम साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाएंगे। उन्होंने सोशल मीडिया के लिए उचित कहानियां विकसित करने को कहा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह साम्प्रदायिक सद्भाव की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए शीघ्र ही एनएफसीएच संचालन परिषद के सदस्यों के साथ अजमेर शरीफ जाएंगे। अजमेर शरीफ दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं और विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में हैं। हम शीर्ष 5 और शीर्ष 3 अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं और हमारा विकास आतंकवाद से बाधित नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर कपड़ा और सूचना तथा प्रसारण मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि देश में कुछ गलत तत्वों द्वारा साम्प्रदायिक स्थिति की गलत छवि प्रस्तुत की जा रही है। इसके बावजूद सरकार साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि एनबीटी और प्रकाशन विभाग महानिदेशालय संवेदनशील इलाकों में साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रति लोगों को संवेदी बनाने के लिए प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगे और पुस्तकों की बिक्री की जाएगी।
देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने के बारे में एनएफसीएच के सदस्य धार्मिक और सामाजिक नेताओं ने अपने सुझाव दिए। साम्प्रदायिक सद्भाव विषय पर अनेक सुझाव दिए गए। इन सुझावों में एनएफसीएच की भूमिका और उसके ढांचे को नया रूप देना, इसके बजट को मजबूत बनाना, अंतर-पंथ संवादों को बढ़ाना, अतंर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करना, संगोष्ठी, प्रकाशन तथा पुस्तक प्रदर्शनी, वृत्तचित्र तथा टेलीविजन कार्यक्रम और सोशल मीडिया के माध्यम से साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाना शामिल है। अन्य सुझावों में साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ाने वाले विभिन्न मंत्रालयों की संबंधित योजनाओं को मिलाना, सम्मेलन आयोजित करना, कवि सम्मेलन तथा संगीत कार्यक्रम, विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक मंचों पर आयोजित करना शामिल हैं। यह भी बताया गया कि स्कूली बच्चे और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को लक्षित किया जाना चाहिए ताकि बच्चे साम्प्रदायिक सद्भाव के मूल्यों को अपना सकें।
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