नई दिल्ली। शिक्षा पर हमेशा कई तरह के सवाल उठते रहते हैं और शिक्षा प्रणाली किस तरह काम कर रही है उसको कई बार प्रेरणा के रूप में हमें फिल्मों में देखने को मिलता आ रहा है | चाहे हम बात करें” तारे ज़मीन पर”,”चॉक और डस्टर” या फिर” थ्री इडियट्स” की। सभी फिल्में अपनी- अपनी परीभाषा में हमें शिक्षा से जुड़ी समस्याएं दर्शा चुकी हैं | ऐसी ही शिक्षा और उससे जुड़े मुद्दे को फिर से लेकर आ रही है फिल्म “हिचकी “. अभिनेत्री रानी मुख्खर्जी की यह फिल्म हमें बताती है कि हमेशा जरूरी नहीं कि विद्यार्थी ही गलत हो ,कई बार शिक्षक भी गलत और सही का अंतर भूल जाते हैं |
मर्दानी के बाद दोबारा से बड़े परदे पर वापसी कर रही अभिनेत्री रानी मुखर्जी इस फिल्म में नैना माथुर नाम की एक लड़की का रोल कर रही हैं जो एक खास तरह की बीमारी से ग्रसित है और जिसके कारण उसको बोलने में रूकावट आती है। उसका हमेशा ऐसे टीचर बनने का सपना रहा है उसको अपनी बोलने की परेशानी की वजह किसी भी स्कूल में नौकरी नहीं मिलती है | आखिर कार जब इतनी कोशिशों के बावजूद उनको एक प्रस्ताव आता है तो वह उसे हंस कर स्वीकार कर लेती है|
कहानी में ट्विस्ट तब आया जब उनको वह क्लास मिलती है जिसमें नगर निगम के बच्चे पढ़ते हैं जिनको जबरदस्ती स्कूल में पढ़ाया जा रहा है और नियमों के अनुसार उन्हें निकाला नहीं जा सकता जिस कारण वह विद्रोही किस्म के हो गए हैं और तेवर बगावती वाले अपना लेते हैं| इन् बच्चों को कैसे नैना माथुर अनुशासित करती हैं और सही दिशा दिखाती हैं इसी को कहानी बयां करती है यह मूवी | अभिनय की बात करें तो अभिनेत्री रानी मुख्खर्जी अपने किरदार के साथ भरपूर न्याय करती हुई दिख रही हैं और बाल कलाकार के रूप में “आई एम कलाम” में अभिनय कर चुके हर्ष नायर भी अच्छे दिखे है। बहरहाल शिक्षा पर सवाल करती यह फिल्म हल्की -फुल्की और परिवार के साथ देखने वाली मूवी है जिसमे आप कभी हंसेंगे और कभी रोयेंगे पर भावनाओं की यह कश्मकश आपको बोर नहीं होने देगी |
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