नई दिल्ली-डेरा के प्रमुख बाबा राम रहीम का रोज़ कुछ ना कुछ खुलासा हो रहा हैं. जब से उन्हें सजा सुनाई गयी तब से डेरा के लोग ही उनका सच बता रहे हैं. आज तक तो डेरा में सभी लोग चुप्पी साधे हुए थे, चुप्पी साधने की वजह कुछ और नहीं बल्कि राम रहीम थे. राम रहीम डेरा के सभी लोगो को डरा धमका कर रखते थे. इसलिए आज तक डेरा के किसी भी सदस्य ने अपना मुँह नहीं खोला।
एक साध्वी जिसने ७ साल डेरा में काम किया और उसके बाद उसने हनीप्रीत के घर मेड का काम किया, फिर ऐसा क्या हुआ की उसने डेरा छोड़ दिया। आइए आपको बाबा राम रहीम के बारे में एक और सच बताते है,
साध्वी ने बताया कि वह डेरे में ७ साल तक काम कर चुकी है और उसके बाद भी उसने बाबा राम रहीम कि सेवा भी की है और रू-ब-रू में भी सहयोग किया है.
साध्वी ने बताया कि गुरमीत राम रहीम पूरी रात डांस करता था. और रात भर में ४ से ५ बार कपडे बदलता था. खुद गाना गाता था और खुद ही बच्चों के सामने डांस भी करता था. और इसमें टिकट भी लगता था, जो ७ हज़ार रुपये से शुरू होता था, और जो जितना समय तक गुरमीत के पास होता था उतना ज्यादा पैसा लगता था. बोला तो ये जाता था कि ये पैसा गरीबों के इलाज, गरीबों के लिए घर वगैरह बनवाने के लिए इस्तेमाल होगा. लेकिन, मैंने आज तक तो ऐसा देखा नहीं, ये तो गरीबों को ही रू-ब-रू के नाम पर लूटता था. रू-ब-रू में तरह-तरह के डांस होते थे. गुरमीत भी करता था और फिर रात भर में लोग पागल हो जाते थे.
साल २००७ में सीबीआई केस हुआ था, तो गुरमीत राम रहीम ने साध्वी के रहने का घर बदल दिया। गुरमीत को डर था की कही कुंवारी साध्वी मिडिया के सामने गुरमीत राम रहीम के खिलाफ इंटरव्यू ना दे दें.
डेरे में जितना भी गलत काम होता था वह डेरे के सभी लोगों को पता होता था. लेकिन राम रहीम ने सबको डरा कर रखा था इसलिए कोई भी अपना मुंह नहीं खोलता था. डेरे में जो आया उसका पीछा मरने के बाद ही छूटता था. डेरे में चर्चा तो होती ही थी. लेकिन, डर के मारे कोई जुबान नहीं खोलता था, और फिर बाहर की जनता को पता भी तो नहीं चलने देता था. रात में सत्संग के बहाने सारे गलत काम होते थे. मैं तंग आकर बाहर भागी तो मेरा पीछा नहीं छोड़ा. कई बार मारा पीटा, डेरे के बाहर आए कोई तो मरने तक पीछा नहीं छूटता था.
डेरे की वजह से मेरा परिवार बर्बाद हो गया. मैं तो मर चुकी हूं बस हिम्मत से जिंदा हूं. गुरमीत ने पता नहीं कैसा काला जादू कर रखा था. डेरे में लोग बोलते थे ‘पिताजी गाना सुना दो…’, लोग पागल हो जाते थे, मैं भी बेवकूफ बनी फिर जब समझ आया तो पता चला ये कितना बड़ा पाखंडी है.
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