नई दिल्ली। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि भारतीय रेलवे परिवर्तन के अपने मिशन पर आगे बढ़ रही है। पिछले तीन वर्षों में रेलवे के उन्नयन, आधुनिकीकरण और रख-रखाव में काफी कार्य किया गया है और इन प्रक्रियाओं में प्रौद्योगकी का काफी उपयोग किया जाता है।
भारतीय रेलों में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने भारतीय रेलों में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गोलमेज सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए के मित्तल,रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। प्रभु ने कहा कि भारतीय रेल ने अभी हाल ही में रेल क्लाउड सर्वर, रेल सारथी ऐप की शुरूआत की है और ईआरपी विकसित करने का काम भी चल रहा है।
विचार-विमर्श के दौरान साइबर खतरों, सुरक्षा घटनाओं और उन्नत समाधानों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। विचार-विमर्श में शामिल मुद्दों को समझने और सभी हितधारकों में बेहतर जागरूकता का सृजन करने में मदद की। इसने भारतीय रेलवे में सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली को (आईटी) को साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने में प्रभावी समाधान उपलब्ध कराने में भी सहायता की।
भारतीय रेलवे में कम्प्यूटरीकरण लगभग 3 दशक पहले शुरू हुआ था और टिकीटिंग, माल भाड़ा परिचालन, ट्रेन परिचालन और परिसंपत्ति प्रबंधन अब अधिकांश रूप से सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों पर निर्भर है। भारतीय रेलवे में साइबर सुरक्षा को अब एक केंद्रित क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है। सूचना प्रौ़द्योगिकी प्रणालियों की ऑडिटिंग मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (एसटीक्यूसी) द्वारा की जाती है और भारतीय रेलवे ने सीईआरटी-इन के साथ तालमेल के साथ मिलकर कुछ उठाए हैं।
हालांकि, भारतीय रेलवे के सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों को पर्याप्त सुरक्षा विशेषताओं के साथ विकसित किया गया है। इन मानक सिद्धांतों के आधार पर मई 2017 में हुए वैश्विक साइबर हमले में दर्शाया है कि हम कभी भी संतुष्ट नहीं हो सकते। इस हमले में 150 देशों में 200,000 से भी अधिक संगठनों को प्रभावित किया था। सीबीएस एक न्यूज़ रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हमले के अनुमानित नुकसान लगभग 4 अरब डॉलर हुआ था
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