बिहार का मिथिला क्षेत्र न केवल अपनी समृद्ध संस्कृति, साहित्य और ज्ञान परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह आस्था और अध्यात्म की भूमि भी है। मिथिला को माता सीता की जन्मभूमि कहा जाता है, और यहीं से भगवान राम और सीता का विवाह भी हुआ था। इस पवित्र भूमि पर सैकड़ों छोटे-बड़े तीर्थस्थल (Tirthasthal) हैं, जिनका धार्मिक महत्व सदियों से बना हुआ है।
मिथिला क्षेत्र कहाँ तक फैला है?

मिथिला मुख्य रूप से बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह क्षेत्र दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, सुपौल, मधेपुरा और सहरसा जिलों तक फैला है। यहाँ की मैथिली भाषा, मिथिला चित्रकला और लोककथाएँ इस भूमि की पहचान हैं।
प्रमुख तीर्थस्थल (Top Religious Places of Mithila)
जनकपुरधाम (सीतामढ़ी – नेपाल सीमा के पास)

जनकपुरधाम माता सीता की जन्मभूमि मानी जाती है। यहाँ स्थित जानकी मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है।
रामायण के अनुसार, राजा जनक के राज्य मिथिला में सीता का जन्म यहीं हुआ था। हर साल हजारों श्रद्धालु विवाह पंचमी पर यहाँ आते हैं।
पुनौरा धाम (सीतामढ़ी, बिहार)

भारत की सीमा में स्थित पुनौरा धाम को भी सीता जन्मस्थली के रूप में पूजा जाता है। यहाँ एक भव्य सीता मंदिर, राम जानकी कुंड, और सीता विवाह स्थल हैं। पुनौरा धाम को नेपाल के जनकपुरधाम का “भारतीय प्रतिबिंब” कहा जाता है।
दरभंगा का श्यामा मंदिर (दरभंगा)

यह मंदिर दरभंगा राज के महाराजा कामेश्वर सिंह द्वारा बनवाया गया था। श्यामा मंदिर को “मिथिला का काशी विश्वनाथ मंदिर” कहा जाता है। यहाँ की भव्य नवरात्रि और दुर्गा पूजा पूरे मिथिला क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
महर्षि गौतम स्थान (मधुबनी)

यह स्थल ऋषि गौतम से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि उन्होंने यहाँ दीर्घकाल तक तपस्या की थी। यह स्थान पवित्र “गौतम कुंड” के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
कुशेश्वरस्थान (दरभंगा)

यह स्थल भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ स्थित कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर सावन के महीने में लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। यहाँ की झीलों में दुर्लभ साइबेरियन पक्षियों का आगमन भी होता है — जिससे यह स्थल धार्मिक और पर्यावरणीय दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उग्रतारा स्थान (भागलपुर के समीप, लेकिन मिथिला परंपरा से जुड़ा)यह स्थान माँ तारा देवी को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहाँ सती के “दायाँ नेत्र” गिरा था। इस स्थान की तांत्रिक साधना भारतभर में प्रसिद्ध है।
बाबा नगरी – बिहारीगंज (मधेपुरा)

यहाँ का बाबा बटेश्वरनाथ मंदिर मिथिला के प्रमुख शिव धामों में गिना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव स्वयं लिंग रूप में प्रकट हुए थे। तीर्थों का सांस्कृतिक महत्व मिथिला के ये सभी तीर्थ न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि लोक परंपरा, कला और समाजशास्त्र से भी गहराई से जुड़े हैं। यहाँ की मधुबनी पेंटिंग्स में आज भी सीता विवाह, जनकपुर, गौतम ऋषि जैसे प्रसंगों को चित्रित किया जाता है।
Deepti Jha
BJMC 3







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