शहीद-ए आज़म सरदार भगत सिंह ने कहा था ‘कि वो मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरे विचारों को नहीं’,शहीद भगत सिंह के विचार भगत सिंह को अमर कर गए। शहीद भगत सिंह का जन्म आज के दिन 28 सितम्बर को पंजाब के लायलपुर में हुआ था।
यह लायलपुर जगह अब पाकिस्तान के हिस्से में है भगत सिंह भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में भी महान क्रांतिकारी के रूप में पूजे जाते हैं।

भारत माता के लाडले पुत्र के जन्मदिवस के रूप में हमेशा इस दिन को याद किया जाता है

भगत सिंह छोटी सी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे और उनसे भयभीत होकर ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था । भगत सिंह के साथ में सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को भी फांसी दी गई थी। तीनों भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। और इसलिए आज का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
फांसी से पहले भगत सिंह का आखिरी पत्र

फांसी से एक दिन पहले शहीद-ए-आज़म भगत सिंह क्रांतिकारी साथियों के नाम आखिरी पत्र उन्होंने लिखा था।हर ओर से भगत सिंह और सुखदेव थापर, राजगुरु की फांसी रद्द करने की मांग उठाई जा रही थी। जेलों में बंद और बाहर संघर्ष को तेज करने की कोशिशों में जुटे साथियों की एक ही चाहत थी कि इस मोड़ पर भगत सिंह का साथ देना जरूरी है.

लेकिन खुद भगत सिंह बलिदान देने की कमर कसे हुए थे। फांसी के और उनके बीच सिर्फ एक रात का फैसला था तब उन्होंने पत्र में लिखा था, कि जी गया तो क्रांति मद्धिम हो जाएगी’,स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं लेकिन कैद या पाबंद रह कर जीना मुझे कुबूल नहीं है।
शहीद ए आज़म भगत सिंह के विचार

1-जो व्यक्ति अपने लिए जीता है,उसका जीवन व्यर्थ है। असली इंसान वहीं है जो अपने देश के लिए जीता
2-किसी भी इंसान को दवाकर उसके विचारों को खत्म नहीं किया जा सकता
3-“बम और पिस्तौल क्रांति नहीं ला सकते कभी, क्रांति की नींव तो विचारों से पड़ती हैं।
4-सच्चे देशभक्त को अपनी मौत से नहीं डरना चाहिए
5-अंधविश्वास और जातिवाद से मुक्ति भगत सिंह हमेशा से ही धार्मिक कट्टरता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ थे उनका कहना था कि सबको बराबरी का अधिकार मिले।
6-“लेकिन मनुष्य का कर्तव्य है प्रयास करना, सफलता संयोग और परिस्थितियों पर निर्भर करती है।”
7-“प्रेम सदैव मनुष्य के चरित्र को ऊंचा दिखाता है,यह उसे कभी नीचा नहीं करता, बशर्ते प्रेम प्रेम ही होता है।
Shivam Singh
BJMC 3







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