कांग्रेस के 75 साल, लेकिन कभी भी यह ख्याल तक नहीं किया कि बाबा भीमराव अंबेडकर साहब को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए.
तो क्या ये मान लिया जाए कि कांग्रेस बाबा साहब को नज़रअन्दाज़ करना चाहती थी या उनको डर था कि अगर भारत रत्न दिया गया तो उनकी छवि और पद कांग्रेस से बड़ा ना हो जाए?
आज 14 अप्रैल है यानी बाबा भीमराव अंबेडकर साहब का जन्मदिन, उनके जीवन संघर्ष को हम सभी जानते हैं लेकिन क्या उनके संघर्ष के लिए उन्हें उचित पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया?
जी हां सम्मानित तो किया गया लेकिन उनकी मृत्यु के 34 साल बाद यानी 1990 में, पर क्यों आइए जानते हैं.
भारतरत्न डॉ अम्बेडकर
आजादी के बाद लगभग 1977 तक लगातार कांग्रेस सरकार सत्ता में रही लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि उन्हें ख्याल तक आया हो कि बाबा साहब को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए.
वहीं आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद को ही भारत रत्न से सम्मानित कर लिया, यहां तक कि इंदिरा गांधी ने भी खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया था. लेकिन कभी भी ऐसा समय या मौका नहीं आया जब बाबा साहब को भारत रत्न देने की कोशिश भी की गई हो कांग्रेस के द्वारा.
उठो, पढ़ो और आगे बढ़ो संविधान तुम्हारे साथ है
अगर आप कहेंगे ऐसा नहीं था तो क्या क्या वजह थी कि बाबा साहब को भारत रत्न से सम्मानित करने के लिए 1990 तक का लंबा इंतजार किया गया?
हालांकि बाबा साहब खुद ही इतने महान थे कि उन्हें किसी सम्मान की जरूरत नहीं थी कयोंकि जो शख्स दुनिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक में पढ़ा हो, जिसे दुनिया भर में सिंबल ऑफ नॉलेज के प्रतीक के रूप में माना जाता हो वो तो “विश्वरत्न” हुआ ना.
बाबा साहब ने संविधान बनाकर करोड़ों भारतियों को सम्मान दिया और ये नारा दिया कि ‘उठो, पढ़ो और आगे बढ़ो संविधान तुम्हारे साथ है‘, वो विश्वरत्न इसलिए भी हैं क्योंकि वह अपनी कलम में हजारों सालों की ऊँच नीच को खत्म करने की ताकत रखते हैं.
Aditya Bharat (MJMC II)
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