30 June 2020,Anushtha Singh
मई के पहले हफ़्ते से लद्दाख (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता गया और आख़िरकार 15-16 जून की रात गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच ‘घंटों चली हाथापाई में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई और 76 अन्य घायल हुए. चीन की तरफ़ से अभी तक हताहतों या घायलों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. भारत में घटना की निंदा होने के साथ ही चीन से आयात होने वाली वस्तुओं के बहिष्कार और बैन की मांग बढ़ने लगी है. इस बिच हम आपको एक ऐसी ख़बर बताने जा रहे है जिसे पढ़कर आपको लगेगा की अगर सरकार के इस मसले पर आगाह किया गया था तो सरकार सतर्क क्यों नहीं थी.
मामला गर्म इसलिए भी हुआ कि पूरे 45 साल बाद एलएसी पर दूसरे देश की फ़ौज के हाथों किसी भारतीय सैनिक की जान गई.लद्दाख के पैंगोग और गालवन को लेकर भारत और चीन के बीच संबध बेहद तनावपूर्ण हैं. सरकार जहां मिल्ट्री लेवल से लेकर डिप्लौमेटिक स्तर पर चीन से सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों में लगी हुई है वहीं चीन लगातार लाइन आफ कंट्रोल पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा कर रहा है. जाहिर है चीन की मंशा खतरनाक है और यही वजह है कि चीन के मामले पर नजर रखने वालों का मानना है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने साल 2013 में ही ये अगाह किया था कि चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ जासूसी कर रहा है और नार्थ ईस्ट के उग्रवादी संगठनों को हथियारों की सप्लाई में लगा हुआ है.
यही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बताया था कि कैसे चीन के भारत समेत दुनिया भर के देशों में जासूस फैले हुए हैं जो सुनियोजित तरीके से चीन के लिए जासूसी कर रहे हैं. जिस समय अजीत डोभाल ने ये लेख लिखा था उस दौरान वो दिल्ली के थिंक टैंक विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन से जुड़े हुए था और करीब एक साल बाद एनडीए सरकार में उन्हें एनएसए की जिम्मेदारी दी .अजीत डोभाल के मुताबिक चीन के खिलाफ जासूसी दलाईलामा के भारत आने के बाद से तेज कर दी थी और अक्साई चिन के इलाके में ल्हासा और जिनजियांग को जोड़ने वाली नेशनल हाईवे 219 पर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया था.
डोभाल के मुताबिक भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उस दौरान चीन की गतिविधियों की जानकारी सरकार को मुहैया करानी शुरू कर दी थी लेकिन सरकार ने एजेंसियों की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया. 21 नवंबर 1959 को करम सिंह जो कि इंटेलिजेंस ब्यूरो में डिप्टी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के पद पर तैनात थे उनकी चीनी सैनिकों से झड़प भी हुई थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी.अजीत डोभाल के मुताबिक जब साल 1959 में दलाईलामा अपने 80 हज़ार सैनिकों के साथ भारत में शरण ली तो उसके बाद से चीनी खुफिया एजेंसियां भारत में काफी सक्रिय हो गई. 2013 में हिमांचल प्रदेश के धर्मशाला से चीनी सेना के एक जासूस को गिरफ्तार किया गया जो फेक आईडी कार्ड के जरिये अपनी पहचान छुपा कर दलाईलामा की जासूसी कर रहा था.
चीन की खुफिया एजेंसियां भारत के खिलाफ काफी एक्टिव रहती है और इन उग्रवादी गुटों को चीन की तरफ से हथियार,पैसे और ट्रेनिंग मुहैया कराई जाती है. साल 1966 में 300 नागा उग्रवादियों के ग्रुप को यूनान में हथियारों की ट्रेनिंग देकर भारत में भेजा गया था इस ग्रुप में नागा उग्रवादियों के नेता भी शामिल थे जो अपने साथ चीन से भारी मात्रा में हथियार भी लेकर आये थे. डोवल के मुताबिक ये सिलसिला लगातार जारी है.चीन भारत को अस्थिर करने के लिए पिछले कई सालों से काफी सक्रिय रहा है लेकिन चीन की इन साजिशों के खिलाफ सरकार या तो अनदेखी करती रही और कई बार इस पर कुछ भी कहने से बचती रही.
अजीत डोभाल ने भारत के खिलाफ चीन की बड़ी साजिश का खुलासा करते हुए बताया है कि भारत के खिलाफ चीन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भी मदद ले रहा है. चीन और पाकिस्तान ने मिलकर ढाका में भारत के खिलाफ एक आपरेशनल हब बनाया था जिसका मकसद नार्थ ईस्ट के उग्रवादी गुटों से संपर्क साधना था.अजीत डोभाल ने बहुत पहले से ही अगाह किया था कि कैसे चीन दुनिया भर में फैले अपने जासूसों के जरिये अहम जानकारियों को इकट्ठा कर रहा है. चीन साइबर से लेकर आर्थिक,रक्षा और तकनीकि सेक्टर में अपने जासूसों के जरिये सेंध लगा चुका है.
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