25 June 2020,Anushtha Singh
कोरोना संकट के बीच भारत में तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. मंगलवार को लगातार 10वे दिन पेट्रोल और डीज़ल दोनों के दामों में इजाफ़ा हुआ.
मंगलवार को दिल्ली मे पेट्रोल 47 पैसे महंगा होकर 76.73 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया. वहीं, डीज़ल में प्रति लीटर 57 पैसे की बढ़त हुई है. अब दिल्ली में डीज़ल 75.19 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है. यह गति ऐसे ही जारी रही, तो पेट्रोल-डीजल के भाव 100 रुपये को भी पार कर सकते हैं
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आगे भी बढ़ोतरी होने की आशंका है दिल्ली में डीजल की कीमत, पेट्रोल से ज्यादा हो गई है. देश में पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 18 दिन से लगातार बढ़ रहे हैं.
डीजल-पेट्रोल की कीमतें अभी और बढ़ने के ही पूरे आसार हैं. अभी तेल कंपनियां दाम बढ़ा रही हैं. इसके बाद राज्य सरकारें इस पर वैट बढ़ाएंगी. लॉकडाउन की वजह से राज्यों की इकोनॉमी की हालत खराब ही है, तो वे भी इस मौके की तलाश में हैं कि कब पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने का मौका मिले.
पहले केंद्र सरकार ने इस पर लगातार टैक्स बढ़ाया, अब तेल कंपनियां दाम बढ़ाकर अपने हालात को ठीक कर रही हैं और आगे राज्य सरकारें टैक्स बढ़ाकर अपना राजस्व बढ़ाने की कोशिश करेंगी. यानी तेल को सरकारों ने टैक्स के मामले में एक आमदनी का जरिया समझ लिया है. इस सबका पूरा बोझ जनता पर जाएगा.
पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई की ओर बढ़ने की वजह से अगले दिनों में महंगाई का तगड़ा झटका जनता को लगने वाला है. खासकर डीजल का रेट बढ़ना ज्यादा नुकसानदेह है. भारत में डीजल का इस्तेमाल कृषि, ट्रांसपोर्ट जैसे जरूरी काम में किया जाता है. डीजल के रेट बढ़ने से कृषि पैदावार के रेट बढ़ेंगे और तमाम सामान की ढुलाई भी बढ़ जाएगी. ट्रकों का भाड़ा बढ़ जाएगा. इसकी वजह से महंगाई बढ़ने के पूरे आसार हैं. इस बिच देश में बढ़ते महंगाई
को देखते हुए कांग्रेस पार्टी की ओर से लगातार मोदी सरकार पर हमला बोला जा रहा है. बुधवार को पेट्रोल, डीजल की कीमतों को लेकर राहुल गांधी ने सरकार को जमकर घेरा.
इसी मसले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक चार्ट साझा करते हुए लिखा कि सरकार ने कोरोना और पेट्रोल-डीजल के दाम को अनलॉक कर दिया है. बढ़ते महंगाई को देख कर ये लगता है की केंद्र और राज्य, दोनों सरकारें रेवेन्यू के लिए पेट्रोल और डीज़ल के टैक्स पर काफ़ी हद तक निर्भर हैं.
लॉकडाउन के दौरान देश भर में पेट्रोल और डीज़ल की मांग तेज़ी से घटी है और इसलिए सरकार के रेवेन्यू में भी तेज़ी से गिरावट आई है. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप सी हो गई हैं और इससे राष्ट्रीय ख़ज़ाना बुरी तरह प्रभावित हुआ है. तेल की क़ीमतों के बढ़ने के साथ महंगाई बढ़ने की संभावना भी तेज़ हो जाती है.
लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों का काम बंद हो गया है और लोगों की आय पर बुरा असर पड़ा है. इतना तो तय है की इस वक़्त क्या महंगाई बढ़ने से लोगों के जीवन पर पर दोहरी मार पड़ने वाली है. ऐसे भी तेल से सबसे अधिक पैसा सरकार के पास आता है, उसके बाद तेल कंपनियां अपना पैसा लेती हैं जिसके बाद डीलर का नंबर आता है और आम जनता तो हर बार आख़िर में ही होती है. पर इतना तो तय है की अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत और पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ने का असर आम लोगों की जेबों पर निश्चित रूप से पड़ेगा.
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