30 April 2020,Shivani Rajwaria
श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए श्रमिक दिवस एक वार्षिक अवकाश के रूप में हर साल एक जश्न के साथ मनाया जाता है।जिसे लेबर डे,मई दिवस,कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, व श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस भी कहते हैं। मजदूर दिवस की शुरुआत श्रमिक संघ आंदोलन से हुई है।
आम शब्दों में कहा जाए तो मजदूर यानी वह लोग जो सुबह काम पर जाते हैं और शाम को अपनी मेहनत का पैसा लेकर वापस आते हैं जिनके घर का चूल्हा उनके 1 दिन की दिहाड़ी से ही जलता है।
लॉकडॉन के बीच कोरोना के बाद कोई शब्द अगर सबकी जुबान पर है तो वह है मजदूर!यह मजदूर ही वह वर्ग है जो डाउन की असली तस्वीर को देख पा रहा है उसे महसूस कर रहा है और उसकी जिंदगी में यह तस्वीर हमेशा बनी रहेगी।
मजदूर दिवस की शुरुआत…
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मजदूरों पर होने वाले शोषण से जुड़ा है। 1886 पूर्व मजदूरों के काम करने की कोई भी समय सीमा नहीं हुआ करती थी।मजदूर 15-15 घंटे तक लगातार काम किया करते थे। सबसे पहले अमेरिका में मजदूरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतर आए उनकी मांग थी कि उनके काम करने की समय सीमा को निर्धारित किया जाए। उनके इस आंदोलन को भारी खामियाजा भी चुकाना पड़ा। विरोध की आग में लगभग 100 मजदूरों को गंभीर चोट आई कई मजदूर पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए। उनकी मांगों को पूरा करने में 3 साल लग गए। सालों तक मजदूरों को ऐसे ही संघर्ष करना पड़ा।अंत में 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में ऐलान किया गया कि 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन हर साल मजदूरों की छुट्टी रहा करेगी और इसी के साथ मजदूरों का काम करने का टाइम 8 घंटे निर्धारित किया गया।
भारत में कई संघ मजदूरों के हकों के लिए काम करते आए है पर भारतीय मजदूर संघ भारतीय मजदूर संघ का कार्य भारत के 32 राज्यों तथा 44 उद्योगों में है। यह 1989 की सदस्यता सत्यापन के आधार पर पहली बार 1996 में देश का नम्बर एक मजदूर संगठन घोषित हुआ। वर्ष 2002 की सदस्यता सत्यापन के अन्तरिम परिणाम की घोषणा के अनुसार भारतीय मजदूर संघ 62 लाख से भी अधिक संख्या के साथ अब भी देश का सबसे अधिक सदस्यों वाला मजदूर संगठन है।
भारत में मजदूर संघ की स्थापना 23 जुलाई 1955 को भोपाल में हुई थी।भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। महान विचारक स्व. दत्तोपन्त ठेंगड़ी द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस पर की गई थी। इस संघ की स्थापना मजदूरों द्वारा ही की गई थी इसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई हाथ नहीं था।मजदूरों की विचारधारा,उनकी कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए इस संघ को स्थापित किया गया था।
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