1 May 2020 Krashnan Shukla
इस भारत देश में सबसे ज्यादा मेहनत करने वाला एक मजदूर ही होता है अब चाहे वह बात गर्मी की हो या फिर सर्दी की हो मजदूर अपना काम नहीं छोड़ता है क्योंकि उसको अपने परिवार को रोटी खिलाना होता है वह अपने यह काम कभी नहीं भूलता है।
जी हां 1 मई को ही मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है आज ही के दिन बड़े-बड़े राजनेता मजदूरों के बारे में सोचते हैं और उनके लिए बड़ी-बड़ी होल्डिंग लगवाते हैं लेकिन पता सबको है कि यह एक कड़वा सत्य है कि कोरोना के कालखंड में सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना मजदूरों को ही करना पड़ रहा है इस वक्त मजदूरों के घरों में खाने के लाले पड़े हुए हैं बच्चे भूखे पड़े हैं रो रो कर अपनी बातें पता नहीं पा रहे हैं लेकिन इनकी सुनेगा कौन सब तो अपनी अपनी रोटियां सेक रहे हैं बस मंच पर आए मजदूरों की बात के कुछ बात रखी और चल दिए
जब हमारे मजदूर भाइयों के साथ ऐसा ही करना होता है तो ना जाने मजदूर दिवस क्यों मनाते हैं ना जाने क्यों उनको संभावना दिलवा ते हैं कि सरकार उनके साथ हैं जबकि पता उन सब मजदूरों भाइयों को भी होता है कि होगा कुछ नहीं लेकिन क्या करें मजदूर वर्ग बड़ा नम दिल का होता है क्योंकि उसको यह पता नहीं होता कि मैं अपने परिवार को शाम को रोटी खिला पाऊंगा कि नहीं अगर शाम को खिला भी देता हूं तो क्या मैं अगली सुबह अपने परिवार को रोटी खिला पाऊंगा कि नहीं इस समय अगर कोई भी सबसे ज्यादा तकलीफ में है तो मजदूर वर्ग है।
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