14,दिसंबर’19 नीतीश पाठक
फांसी आखिर समय में कहा रहते है दोषी!
दोषी को सजा-ए-मौत का फरमान जारी होते ही उसे फांसी कोठी में शिफ्ट कर दिया जाता है. जिसके बाद शुरू होती है कैदी को फांसी देने की प्रक्रिया. बहुत ही कम लोग फांसी कोठी के बारे में जानते हैं. जानें- फांसी से पहले कैदी को कहां रखा जाता है.
ऐसी होती है फांसी कोठी
एक छोटा सा कमरा, एक कंबल, पीने के लिए पानी और चारों ओर घना अंधेरा. इस कमरे का नाम फांसी कोठी है, जहां कैदी को रखा जाता है. जब कैदी फांसी कोठी में होता है तो उस दौरान सिक्योरिटी के अलावा कोई भी वहां पर मौजूद नहीं होता है.
कहां होती है फांसी कोठी?
अंग्रेजों के जमाने में ही तिहाड़ जेल के नक्शे में फांसी कोठी का भी नक्शा बनाया गया था. जिसके हिसाब से फांसी कोठी का निर्माण हुआ. ये फांसी कोठी तिहाड़ में जेल नंबर तीन में कैदियों के बैरक से बहुत दूर सुनसान जगह पर बनाई गई है. जेल में क्या गतिविधि चल रही है, इसके बारे में फांसी कोठी में रह रहे कैदी और वहां के सिक्योरिटी गार्ड को कोई खबर नहीं होती है.
डेथ सेल क्या है?
डेथ सेल एक फांसी कोठी की तरह की दिखने वाला कमरा होता है. जैसे ही दोषी की सजा कोर्ट की ओर से मुकर्रर होती है तो उसे डेथ सेल में शिफ्ट कर दिया जाता है और जब फांसी की प्रक्रिया शुरू होने वाली होती है तो उसे फांसी कोठी में शिफ्ट कर दिया जाता है.
फांसी कोठी और डेथ सेल किसी आम जेल की तरह नहीं होते हैं. ये इतने खतरनाक हैं कि कैदी जैसे ही इसमें जाता है उसे मुत्यु का एहसास होने लगता है. ये कहना गलत नहीं होगा कि ये कमरे किसी मौत के कुएं से कम नहीं है.
तिहाड़ जेल में जेल नंबर तीन में जिस बिल्डिंग में फांसी कोठी है, उसी बिल्डिंग में कुल 16 डेथ सेल हैं. डेथ सेल में कैदी को अकेला रखा जाता है, उसके साथ किसी और को रखने की अनुमति नहीं है. फांसी होने के 24 घंटे में सिर्फ आधे घंटे के लिए उसे बाहर टहलने के लिए निकाला जाता है.
जेल के सिक्योरिटी गार्ड नहीं करते डेथ सेल की सुरक्षा
जानकर हैरानी होगी कि जहां पर कैदी को फांसी देने से पहले रखा जाता है वहां की रखवाली जेल प्रशासन नहीं करता. बल्कि फांसी कोठी और डेथ सेल की पहरेदारी तमिलनाडु स्पेशल पुलिस करती है. दो-दो घंटे की शिफ्ट में इनका काम सिर्फ और सिर्फ मौत की सजा पाए कैदी पर नजरें रखने का होता है.
आपको बता दें, डेथ सेल और फांसी कोठी में रहने वाले कैदी को किसी भी प्रकार के ऐसे कपड़े पहनने को नहीं दिए जाते जिससे वह खुद को नुकसान पहुंचा सके. डेथ सेल के कैदियों को बाकी और चीज तो छोड़िए पायजामे का नाड़ा तक पहनने नहीं दिया जाता.
कैसे होती है फांसी
जेल मैनुअल के अनुसार किसी भी कैदी को फांसी देने के दौरान अहम बातों का ख्याल रखा जाता है. जिसमें कैदी की सेहत, उसे अलग रखने जैसी तमाम बातों पर ध्यान दिया जाता है.
फांसी के दौरान रुक जाता है हर काम
जिस समय कैदी को फांसी दी जाती है उस समय जेल के अंदर हर काम रोक दिया जाता है. हर कैदी अपने सेल और अपने बैरक में होता है. यहां तक कि जेल में किसी भी तरह की गतिविधि नहीं होती है.
आपको बता दें, निर्भया कांड के चारों दोषी पिछले साथ साल जेल में हैं. मुकेश, विनय और अक्षय के अलावा चौथे दोषी पवन को भी मंडोली जेल से तिहाड़ जेल शिफ्ट किया गया है. उम्मीद है 18 दिसंबर 2019 को इन चारों को फांसी दे दी जाएगी. जिसके लिए जल्लाद की तलाश जारी है.
कसाब, अफजल गुरू और याकूब मेमन को फांसी बिना जल्लाद के ही दे दी गयी है.ये तीनो का लिवर पुलिशकर्मी ने ही खींचा था.
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