12 नवंबर 2019, शिवानी पाल
फिर पलटी बाजी ,अपने ही जाल में फंसी शिवसेना, कैसे निकलेगी अपने ही 50-50 फार्मूले से बाहर ?
24 अक्टूबर से महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर जो युद्ध छिड़ा है अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा । साम ,दाम ,दंड ,भेद लगाने के बावजूद भी शिवसेना महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है पूरे महाराष्ट्र को इंतजार है कि कौन उसका मुख्यमंत्री होगा महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने सबसे पहले भाजपा सरकार को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का न्योता दिया था । बस सारा खेल यहीं से शुरू हुआ है जब से भाजपा सरकार को सरकार बनाने का न्योता दिया गया है तभी से शिवसेना बौखलाई सी नज़र आ रही हैं। रातो रात शिवसेना ने अपने विधायकों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया।
कांग्रेस और एनसीपी की शर्तों के मुताबिक शिवसेना के नेता अरविंद सावंत को भाजपा सरकार में एकमात्र मंत्री पद से इस्तीफा देना था । सोमवार को लगभग 11:00 बजे शिवसेना के वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। शिवसेना का मोदी कैबिनेट से मंत्री पद का इस्तीफा दिलवाने के बाद भी कांग्रेस और एनसीपी ने अभी तक समर्थन देने पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया हैं।
बीजेपी ने रविवार को राज्यपाल से जब यह बताया कि वह सरकार बनाने में सक्षम नहीं है । शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना के नेताओं के साथ राजभवन पहुंचे वहां राज्यपाल से बात करने के बाद उन्होंने कॉन्फ्रेंस की और बताया कि राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं दिया है।तभी से शिवसेना में बेचैनी बढ़ गई दिल्ली से लेकर मुंबई तक तमाम बैठकों के बाद भी सरकार बनाने में असमर्थ रही । राज्यपाल ने अब एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता भेजा है । महाराष्ट्र की राजनीति ने अलग ही रुख ले लिया है । 20 दिन से चल रहे इस राजनीतिक खेल पर पूरे देश की नजर गड़ी हुई हैं ,आखिरकार महाराष्ट्र का सीएम कौन बनेगा?
दिलचस्प बात तो यह है कि शिवसेना ने बीजेपी के साथ 50-50 फार्मूले को लेकर 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ा है अब अपने ही फॉर्मूले में शिवसेना फसती जा रही है। कांग्रेस का कहना है की शरद पवार चाहते है ढाई ढाई साल सीएम पद पर रहने की दावेदारी हो अब ये तो वही बात हो गई…. ना कर सास बुराई तेरे भी आगे जाई,
अब देखना दिलचस्प होगा की शिवसेना खुद एनसीपी को कैसे मनाती है या खुद इस जाल में फंसकर मुख्यमंत्री का मौका गंवाती है ?
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