नई दिल्ली। आज विश्व जल दिवस है। पानी की समस्या से जूझते पूरे विश्व में खलबली है। गोष्ठियां होती हैं, सेमिनार आयोजित किए जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है। चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं लेकिन हम हैं कि चेतते नहीं हैं। दुनिया में 84.4 करोड़ लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। अगर भारत की बात की जाये तो बेंगलूरू विश्व का दूसरा शहर बन सकता है जहां पानी समाप्त हो सकता है।
शहरों की बढ़ती जनसंख्या और उचित रखरखाव के अभाव के कारण पानी की कमी को सबसे बड़ी समस्या माना जा सकता है। जल स्तर निरंतर गिरता जा रहा है लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हम कार को धोने या फिर घरों के आगे नमी रखने के लिए अंधाधुंध पानी बर्बाद कर रहे हैं। इतना ही नहीं आश्चर्य तो तब होता है जब ग्रामीण इलाकों में भैंस या किसी जानवर को बोरिंग के पानी से पाइप के जरिये नहलाया जाता है। इतना पानी बहाया जाता है जो एक तरह से अनावश्यक होता है। फिर हम पानी की किल्लत का रोना क्यों रोते हैं। पानी का जलस्तर निरंतर गिरता जा रहा है। यह एक दो नहीं कई स्थानों का हाल है। तालाब, पोखर गायब होते जा रहे हैं। ऐसे में जलस्तर के न गिरने से कैसे बचाया जा सकता है।
विश्व स्तर की एजेंसी वॉटरएड की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इसमें कहा गया है कि विश्व में 84.4 करोड़ लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। अगर भारत में 16 करोड़ लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं तो बेंगलुरू दुनिया का दूसरा ऐसा शहर बन सकता है जहां पानी खत्म हो सकता है। अगर यह खतरा बेंगलुरू में आज है तो वह दूसरे शहरों तक पहुंच सकता है। इसके अपने कारण हैं। बिना किसी योजना के कारण शहरीकरण से कंकरीट के जंगल खड़े हो गये। अतिक्रमण के कारण बेंगलुरु में तो 79 प्रतिशत तालाब ही खत्म हो गये। हालात यह है कि पिछले दो दशकों में इस शहर का जलस्तर 76 से 91 मीटर तक चला गया है। भारत में यह हालात केवल बेंगलुरु की हो नहीं कहा जा सकता। शहरीकरण, ग्रमीण क्षेत्रों से शहरों की ओर बढ़ता रुझान से बंगलुरु में जनसंख्या का दबाव बढ़ा है। इस कारण भी स्थिति बिगड़ी है। भारत में केवल बेंगलुरु ही ऐसा शहर नहीं है। यह हालत हर शहर की होने जैसी स्थिति उपन्न हो सकती है। इससे हमें पहले से ही चेतने की जरुरत है।
हालात क्या हैं
विश्व स्तर पर हालात यह है कि केपटाउन में पानी खत्म होने के कगार पर है। आने वाले दिनों में ब्राजील का साओ पाउलो की हो सकती है। ये दोनों शहर तो सूखे की मार झेल रहे हैं लेकिन बेंगलुरु की हालत तो इंसानों की अपनी देन है।
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलावा पाकिस्तान, युगांडा, मोजांबिक ऐसे देश हैं जहां साफ पानी के लिए लोगों को आधे घंटे तक का सफर तय करना पड़ता है।
अगर दुनिया के नक्शे को देखा जाए तो इरीट्रीया, पापुआ न्यू मिनी और युगांडा तीन देश ऐसे हैं जहां साफ पानी सबसे कम उपलब्ध है।
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