दिव्यांश यादव, 01/05/2020.
पृथ्वी अभी कई परेशानियों का सामना कर रहा है|पृथ्वी पर सदियों से युक्त यह संसार ना जाने कितने जीवो को खुद में समाहित किए हुए हैं| आज उन्ही मुसीबतों का सामना पूरा विश्व एक चुनौती की तरह कर रहा है| वैसे तो हमारे ब्रह्मांड में कई ग्रह तारे और उल्कापिंड मौजूद हैं और सभी गति में है जो कई बार निर्धारित नहीं होती| उसी प्रकार 52768 (1998 OR2) के नाम से जाना जा रहा उल्कापिंड बिना किसी को क्षति पहुंचाए हमारी पृथ्वी के काफी करीब से गुजर गया|
उल्कापिंड की जानकारी-
इस एस्ट्रॉयड का नाम 5276(1998 OR2) है| इसे नासा द्वारा सबसे पहले 1998 में देखा गया था| इसका व्यास लगभग 4 किलोमीटर का था| इसकी गति करीब 31,319 किलोमीटर प्रति घंटा थी,जो कि एक सामान्य रॉकेट से 3 गुना अधिक होती है|
कब और कैसे गुजरा (1998 OR2)
भारतीय समय के मुताबिक यह उल्कापिंड 3:26 पर पृथ्वी को बिना आघात पहुंचाए गुजर गया| पृथ्वी से एस्ट्रॉयड की दूरी 6.3 मिलियन किलोमीटर थी|
टकराने पर क्या होता परिणाम-
इस उल्कापिंड का आकार माउंट एवरेस्ट से भी कई गुना अधिक था| अगर यह धरती के किसी भी हिस्से से टकरा जाता तो देश के देश बर्बाद हो जाते या यह अपने साथ सुनामी लेकर आता,जिससे मनुष्य का पृथ्वी से अस्तित्व ही समाप्त हो जाता| 2003 में करीब 20 किलोमीटर लंबा एक एस्ट्रॉयड एटमॉस्फेयर में टकराया था,जो तुरंत जलकर राख हो गया था|
2079 यह धरती के और भी करीब होगा-एस्ट्रोलॉजर्स और साइंटिस्ट के अनुसार इस तरह के उल्कापिंड से हर 100 साल में पृथ्वी से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती है|परंतु हर बार किसी न किसी प्रकार पृथ्वी के किनारे से यह निकल जाती है| यह बात पहले ही बता दी गई है कि 1988 उल्कापिंड दोबारा 2079 में धरती के और भी नजदीक से गुजरेगा| उस वक्त इसकी दूरी काफी कम होगी और यह पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकता है|
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