भारत में, विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। दीवाली के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच गया, जिसमें पराली जलाने और पटाखों का बड़ा योगदान रहा। मौसम की स्थिति जैसे धीमी हवाएं और ठंड प्रदूषकों को वातावरण में अधिक समय तक बनाए रखती हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है
प्रमुख कारण:
पटाखे और पराली जलाना:
पटाखों से निकलने वाले रसायन और पराली जलाने से भारी मात्रा में कार्बन और PM2.5 कण वायुमंडल में फैलते हैं। इनका प्रभाव दीवाली के दौरान अधिक होता है, जब प्रतिबंधों के बावजूद आतिशबाजी होती है
वाहनों और उद्योगों से उत्सर्जन:
शहरी क्षेत्रों में वाहनों की संख्या और औद्योगिक उत्सर्जन भी वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। यह PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा में वृद्धि करता है
ओज़ोन और अन्य गैसें:
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में लोग न केवल पार्टिकुलेट मैटर, बल्कि ओज़ोन के उच्च स्तर के संपर्क में भी रहते हैं, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है
संभावित समाधान:
सख्त नियम: पटाखों और पराली जलाने पर सख्त प्रतिबंध और उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
प्रदूषण नियंत्रण: स्वच्छ ऊर्जा और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
जन जागरूकता: नागरिकों को प्रदूषण के खतरों और इसके नियंत्रण के तरीकों के प्रति शिक्षित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार, उद्योगों, और जनता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
नैना
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