ज्योति सिंह, 30/05/2020.
छतीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन हो गया है. अजीत जोगी को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, सांस लेने में तकलीफ महसूस होने के बाद उन्हें 9 मई को रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब डॉक्टर ने कहा था कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ हैं, हालात को बिगड़ता देख डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था. अजीत जोगी नौकरशाह से राजनेता और छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री भी रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के गठन के साथ ही अजीत जोगी राज्य की सियासत की धुरी बन गए, छत्तीसगढ़ की राजनीति हमेशा अजीत जोगी के इर्द-गिर्द घूमती रही. अजीत जोगी ने वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद कि पहली बार शपथ ली. तो उनका वह बयान इतिहास के पन्नों में अमिट पंक्तियों की तरह दर्ज हो गया, जिसे हर राजनीतिक विश्लेषक बार-बार दोहराता है.
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेते वक्त अजित जोगी ने कहा था, ‘ हां मैं सपनों का सौदागर हूं मैं सपने बेचता हूं. ‘ लेकिन वर्ष 2000 के बाद से वह सियासत के ऐसे सौदागर साबित हुए. जो राजनीति के शीर्ष पर पहुंचने के सपने को दोबारा साबित नहीं कर पाया.
दो बार राज्यसभा सदस्य, दो बार लोकसभा सदस्य एक बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा उनके खाते में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है, उनकी इच्छाशक्ति को एक मिसाल के तौर पर देखा जाता है उनकी राजनीतिक कैरियर में आने के तमाम किस्से हैं.
कहा जाता है कि रायपुर का कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी ने पूर्व प्रधानमंत्री और और पायलट रहे राजीव गांधी से उनके जो रिश्ते बने, वहीं उन्हें राजनीति में लाने में मददगार बने. 1986 में कांग्रेस को मध्य प्रदेश से ऐसे शख्स की जरूरत थी जो आदिवासी और दलित समुदाय से आता हो, और जिसे राज्यसभा सांसद बनाया जा सके. बताया जाता है कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह अजीत जोगी को राजीव गांधी के पास लेकर गए तो उन्होंने फौरन उन्हें पहचान लिया, और यही से उनकी सियासी दुनिया में एंट्री हुयी.
अजीत जोगी का राजनीतिक सिक्का ऐसा चमका की कांग्रेस से 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्यरत रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद भी चुने गए. साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, क्षेत्र में कांग्रेस को बहुमत था. कांग्रेस ने बिना देरी के ही अजीत जोगी को ही राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया. जोगी 2003 तक राज्य के सीएम रहे.
हालांकि उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही. और उनका राजनीतिक ग्राफ भी गिरता गया.
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