26 नवंबर 2019 कौशलेंद्र राज शुक्ला
संविधान अपनाने की 70वीं वर्षगांठ पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई गई है। इसमें केंद्रीय मंत्री समेत दोनों सदनों के सदस्य मौजूद हैं। इस मौके पर संसद के सेंट्रल हाल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित हैं। वहीं, विपक्ष पार्टियों के नेता सदन के बाहर डॉ भीमराव अंबेड़कर की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने सदन के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मैं भारत के संविधान को अपनाने की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, आप सभी को, और भारत और विदेशों में हमारे सभी साथी नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हमारे संविधान में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल अधिकार भी है और सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने तथा हिंसा से दूर रहने का कर्तव्य भी।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, समावेशी विकास के हित में किए गए संवैधानिक संशोधनों को पारित करने के लिए, सभी सांसद बधाई के हकदार हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत अर्थ लगाकर, यदि कोई व्यक्ति, किसी सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने जा रहा है, तो उसे ऐसे हिंसात्मक व अराजकता-पूर्ण काम से रोकने वाले व्यक्ति, जिम्मेदार नागरिक कहलाएंगे।
संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये हमारे देश के लिए ऐतिहासिक दिन हैं। 70 साल पहले हमने संविधान को अपनाया था। कुछ दिन और कुछ अवसर ऐसे होते हैं जो हमें अतीक के साथ बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह ऐतिहासिक अवसर है। इस दौरान उन्होंने, 26/11 हमले में जान गंवाने वालों को श्रृद्धांजलि भी दी। पीएम ने कहा मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि भारत का संविधान नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों दोनों पर प्रकाश डालता है। यह हमारे संविधान का एक विशेष पहलू है। आइए हम इस बारे में विचार करें कि हम अपने संविधान द्वारा बताए गए कर्तव्यों को कैसे पूरा कर सकते हैं।
26 नवंबर साथ-साथ दर्द भी पहुंचाता है। जब भारत की महान उच्च परंपराएं, संस्कृति विरासत को मुंबई में आतंकवादियों ने छन्न करने का प्रयास किया। मैं आज उन सभी हुतात्माओं को नमन करता हूं। 7 दशक पहले संविधान पर इसी हॉल में चर्चा हुई। सपनों पर चर्चा हुई, आशाओं पर चर्चा हुई।
वैंकया नायडू ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि हमें आजाद भारत का नागरिक बनाने के लिए बलिदान देनेवाले हजारों लोगों का शुक्रिया। उन्होंने कहा कि संविधान को देश के बुद्धिमान और संवेदनशील लोगों ने बनाया था।
हालांकि, कांग्रेस, शिवसेना, लेफ्ट और डीएमके के सांसदों ने संविधान दिवस समारोह के बहिष्कार का फैसला किया। विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा ने महाराष्ट्र में लोकतंत्र की हत्या की है। विपक्षी दल संसद परिसर में आंबेडकर प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी दलों के नेता आज संसद परिसर में, भाजपा द्वारा महाराष्ट्र में सरकार गठन का विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीजेपी द्वारा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के खिलाफ विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।
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