12 नवंबर 2019, दिव्यांश यादव
राजनीति और जिंदगी में कब क्या बदलाव आ जाए,पता भी नहीं चलता !
आज ऐसी ही परिस्थितियां महाराष्ट्र में सुबह से दिख रही हैं,महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसी घटना बिल्कुल नई बात नहीं है, यहां कब,क्या हो जाएं कुछ कह नहीं सकते !
एनसीपी के नेता शरद पवार ने शिवसेना को उसके ही जाल में फंसा दिया और उनसे 50 -50 का प्रस्ताव रख दिया,जो कि कुछ दिनों पहले शिवसेना ने बीजेपी के साथ ऐसा ही प्रस्ताव रखा था,लेकिन कुछ देर बाद एनसीपी ने मामले को नया रंग देते हुए बयान दिया,की शिवसेना के लिए जितनी महत्ता हमारी दिख रही है उसी प्रकार शिवसेना को कांग्रेस की भी समझनी चाहिए मतलब स्पष्ट था अभी मामला बिल्कुल शांत नहीं हैं, लेकिन इसके बाद तुरंत राज्यपाल ने सब कुछ बदल दिया !
दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने आज राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी, कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ”वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, इसीलिए संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है”
अनुच्छेद 356 को जिसे आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भी मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की सिफारिश की है। राज्य में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार नहीं बना सकी है,
दरअसल नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक गतिरोध पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया !
महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में शिवसेना के पास 56 सीटें हैं जबकि एनसीपी और कांग्रेस के पास 54 और 44 सीटें हैं। राज्य में सरकार बनाने को इच्छुक किसी भी दल या गठबंधन को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी !
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए दावा पेश करने की खातिर शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया है, कोश्यारी ने रविवार को शिवसेना को सरकार गठन करने का दावा पेश करने के लिए अपनी इच्छा और सामर्थ्य का संकेत देने के लिए बुलाया था, उससे पहले 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने राज्य में सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने का फैसला किया था,अब खबर ये है की राष्ट्रपति शासन को मंजूरी मिल गई है !
अब सत्ता का यह मोह शिवसेना,कांग्रेस और एनसीपी को फिर से कितना दूर करेगी या सभी राजनीतिक पार्टियों को अगले चुनाव का इंतज़ार करना पड़ेगा,देखना दिलचस्प होगा ?
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