18 नवंबर 2019 कौशलेंद्र राज शुक्ला
लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद जहां एनडीए का हौसला बुलंद था। तो वहीं विपक्षी दल भी उसका खूब समर्थन कर रहे थे लेकिन अब एनडीए के दल भाजपा का साथ छोड़ते नजर आ रहे हैं। अगर लोकसभा चुनाव के बाद से देखा जाए तो अब तक तीन पार्टियां भाजपा का साथ छोड़ चुकीं हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनाने को लेकर खींचतान के बाद भी शिवसेना और भाजपा का गठबंधन लगभग टूटने की कगार पर है ,जिसकी सिर्फ औपचारिक घोषणा होना ही बाकी है तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड में आजसू ने पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और लगभग डेढ़ दशक पुराना अपना गठबंधन तोड़ दिया है।
हालिया चुनाव पर नजर डालें तो पता चलता है कि एनडीए के अन्य सहयोगी दल भी भाजपा से भी दूरी बना रहीं हैं। केंद्र सहयोगी होने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के चुनाव में लोक जनता दल और जनता दल यूनाइटेड से दूरियां बरती हैं।वहीं भाजपा ने हरियाणा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
जिस हिसाब से एनडीए टूट रही है उस हिसाब से ऐसा लग रहा है कि जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं वही वही पार्टी में फूट पड़ रही है जिसका कारण है भाजपा की हिंदूवादी छवि। एनडीए में गैर हिंदू वोट बैंक वाले से फिलहाल खतरा नहीं है।सिर्फ उन्हीं पार्टियों से खतरा है जो पार्टियां हिंदुत्ववादी नहीं है और जो पार्टियां क्षेत्र में अपना दबदबा रखती हैं अब देखना यह होगा कौन सी पार्टी भगवा धारियों का साथ देती है और कौन सी नहीं।
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