9 नबंबर 2019, दिव्यांश यादव
आज सियासत की नगरी कही जाने वाली अयोध्या को शायद ही अब कोई इस उपनाम से संबोधित करे, दरअसल अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, लंबी सुनवाई के बाद दशकों पुराने इस विवाद पर 929 पेज का फैसला दिया,पांच जजों की पीठ ने निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज खारिज करते हुए संपूर्ण भूमि राम जन्मभूमि न्यास को दे दी,जबकि सुन्नी बोर्ड को मस्जिद के लिए अलग स्थान पर 5 एकड़ की जमीन दी गई है,
इस ऐतिहासिक फैसले को आने में शताब्दियां लग गई ,लेकिन ऐसी क्या वजह रही की न्यायालय ने भी सत्यता मान कर फैसला राममंदिर के पक्ष में ही सुनाया ?
इसमें से कुछ तथ्य बताना चाहेंगे जो निम्न हैं –
1. न्यायालय ने माना की बाबरी मस्जिद,खाली जगह पर नहीं बनी थी, न्यायालय के अनुसार इसका निर्माण मीर- बाकी ने कराया था ।
2. न्यायालय ने यह भी माना की आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बिल्कुल सही थी,जिस रिपोर्ट में दो मूर्तियां खुदाई से प्राप्त होने की बात सामने आ रही है ।
3. न्यायालय ने यह भी माना की 1856 तक बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ने की कभी कोई बात सामने नहीं आई ।
4. न्यायालय के अनुसार,हिन्दू पक्ष ने ऐतिहासिक तथ्यों को भी सामने रखा है,जिससे स्पष्ट होता है कभी ना कभी यहां राममंदिर था ।
5. बाबरी मस्जिद के नीचे इस्लामी विरासत के ना होने के सबूत मिले,जिससे स्पष्ट हो गया कि फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही आ सकता है ।
ऐसे ही पक्ष राममंदिर के पक्ष को मज़बूत बनाता रहा,और अंततः अयोध्या सियासत की राजधानी से निकलकर रामराज्य की नगरी बन ही गई ,अब देखना दिलचस्प होगा,की क्या इस फ़ैसले को हिन्दू और मुस्लिम पक्ष सहजता के साथ स्वीकार कर पायेगी ?
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