दुर्गा पूजा मेरे लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरे साल का सबसे खास समय होता है। जब भी नवरात्रि नज़दीक आती है, दिल में एक अलग ही उत्साह भर जाता है। बचपन से ही मैंने देखा है कि दुर्गा पूजा के दिनों में पूरा माहौल बदल जाता है। घरों की सफाई, बाजारों की रौनक और जगह-जगह लगने वाले पंडाल – सबकुछ त्योहार जैसा नहीं, बल्कि किसी बड़े उत्सव जैसा लगता है।

मुझे सबसे ज़्यादा अच्छा लगता है जब मोहल्ले में पंडाल सजते हैं। रोशनी और सजावट इतनी सुंदर होती है कि हर कोई वहीं खड़ा रहकर नज़ारा देखता रह जाए। शाम को परिवार और दोस्तों के साथ पंडाल घूमने निकलना मेरे लिए सबसे यादगार पल होता है।

माँ दुर्गा की आरती में शामिल होना और घंटियों की आवाज़ सुनना दिल को बहुत सुकून देता है। ऐसा लगता है जैसे सारी थकान और परेशानी माँ के चरणों में रखते ही खत्म हो जाती है।

दशहरे के दिन जब प्रतिमा विसर्जन होता है तो मन थोड़ा उदास भी हो जाता है। लगता है जैसे घर की कोई अपने लौट गई हो। लेकिन अगले साल फिर से मिलने की उम्मीद वही उत्साह जगा देती है,मेरे लिए दुर्गा पूजा सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि अपनों के साथ जुड़ने और खुशी बाँटने का एक मौका है।
गामिनी पाठक
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