9 नवंबर 2019, दिव्यांश यादव
अभी कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार ने नया राजनीतिक मानचित्र दुनिया के सामने प्रस्तुत किया,इस मानचित्र के आते ही दुनिया के कई देश इसका मुखर विरोध करने लगे,
जैसा की सबको पता था पाकिस्तान इसका विरोध जरूर करेगा,और हुआ भी कुछ ऐसा ही, पाकिस्तान ने तुरंत विरोध के स्वर को ऊंचा करने के साथ साथ धमकी भी देनी शुरू कर दी,
इस मानचित्र में जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग अलग सीमा रेखा से दर्शाया गया है,क्योंकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख गुरुवार को आधिकारिक तौर पर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए, इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लाकर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, यह बिल 30 अक्टूबर रात 12 बजेसे लागू हो गया,इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना,जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले होंगे, अब केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशोंमें लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए,
लेकिन इसके बाद भारत का सबसे बड़ा मित्र कहा जाने वाला नेपाल भी विरोध करने लगा,नेपाल सरकार के प्रवक्ता संचार और सूचना मंत्री गोकुल प्रसाद बास्कोटा ने बृहस्पतिवार को कालापानी को नेपाल का अभिन्न अंग बताया, संचार मंत्री ने कहा कि 58 वर्ष पहले नेपाल द्वारा कालापानी में जनगणना कराना ही इसका ऐतिहासिक प्रमाण है, उन्होंने संचार मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए नियमित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि ‘नेपाल और भारत के बीच जुड़े भू-भाग में से केवल दो प्रतिशत जगह पर ही सीमा विवाद है और इसका समाधान करना अभी बाकी है, हम राजनीतिक और कूटनीतिक पहल से प्रमाण के साथ इस विवाद का समाधान करेंगे।
जिसके तुरंत बाद, भारत के नए राजनीतिक नक्शे पर नेपाल के विरोध के बीच विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि नए मानचित्र में भारत ने अपने ही हिस्से को दिखाया है क्योंकि, पूर्ण राज्य जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर दो नए केंद्रशासित प्रदेश बनाए गए हैं, इसी के मद्देनजर नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया गया,विदेश मंत्रालय के अनुसार, जहां तक नेपाल की आपत्तियों का सवाल है तो दोनों देश सीमा विवाद के मसले को सचिव स्तर की बातचीत में सुलझाने पर सहमत हैं,ऐसे में नेपाल की आपत्तियों को इसी बातचीत में सुलझा लिया जाएगा।
अब ये देखने वाली बात होगी की भारत सरकार अपने मित्र नेपाल के साथ सीमा की शांति के लिए क्या कदम उठाती है ?







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