4 दिसंबर 2019 कौशलेंद्र राज्य सरकार
एक नए भविष्य का दरवाजा खुल रहा है. इससे कोस्टल शिपिंग का नया अध्याय शुरू होने वाला है.‘ यह शब्द थे भारत के वजीरे आजम नरेंद्र मोदी के 22 अक्टूबर 2017 के जब गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले थे और वह एक जनसभा को संबोधित करने गए थे। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि माननीय प्रधानमंत्री जी भविष्य का कौन सा दरवाजा खोलने की बात कर रहे हैं तो आपको बता दें वो दरवाजा था, घोघा से भरूच दहेज के बीच चलने वाली रो-रो (Ro-Ro) फेरी सर्विस का. Ro-Ro का फुल फॉर्म है Roll on-Roll off. इसका अर्थ होता है, किसी सामान को लादना और उतारना.।ये रो-रो फेरी सर्विस घोघा से दहेज के बीच सफर की दूरी को कम करने वाली थी. सड़क के रास्ते से ये दूरी 360 किलोमीटर है. नॉर्मल स्पीड से 8-10 घंटे का समय इस सफर को पूरा करने में लगता है और. अगर इसी सफर को समुद्र के रास्ते से तय किया जाए तो दूरी होगी 31 किलोमीटर.की या 1 घंटे का सफर. 8-9 घंटे की बचत.। मतलब टाइम की भी बचत हो रही थी और आयात निर्यात का काम भी आराम से हो रहा था लेकिन फिर ऐसा क्या हो गया कि आज लगभग एक डेढ़ साल बाद हम इस प्रोजेक्ट का जिक्र फिर से कर रहे हैं तो आपको कुछ और बताने से पहले ले चलते हैं 25 जनवरी 2012.पर जब इस प्रोजेक्ट के लिए आधारशिला रखी जा रही थी. नरेंद्र मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. इस प्रोजेक्ट को 15 महीने के भीतर पूरा किया जाना था. लेकिन समय पर ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया. मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने. गुजरात से दिल्ली आ गए. लेकिन इस प्रोजेक्ट में उनका दिल लगा रहा. जब इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ तो मोदी वहां मौजूद थे. और इस प्रोजेक्ट के सफल होने की बात कह रहे थे जिससे वह गुजरात में सत्ता वापसी के प्रयास की भी कोशिश कर रहे थे। उम्मीद के मुताबिक हुआ भी कुछ ऐसा ही गुजरात में भाजपा की वापसी हुई लेकिन जो आंकड़ा बहुमत का भाजपा चाह रही थी वह उसको नहीं मिला लेकिन फिर भी भाजपा को कितनी सीटें मिल गई जितनी उसको बहुमत के आंकड़े के लिए जरूरत थी इस ड्रीम प्रोजेक्ट का मुद्दा विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं रहा लोकसभा में भी से मुद्दा बनाया गया और लोकसभा में भी कुछ ऐसा ही हुआ भाजपा को गुजरात में अच्छी सफलता मिली और सरकार सत्ता में वापस आए लेकिन अब बदलते वक्त के साथ हालात बदल चुके हैं जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले देखा था वह टूट गया जी हां जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह रो रो फेरी सर्विस बंद हो चुकी है। अगर इंडिगो सीवेज के मुखिया चेतन कॉन्ट्रैक्टर की माने तो वह कहते हैंअब ये सर्विस चलाने का कोई तुक नहीं है. हम अपने नुकसान का आंकलन कर रहे हैं. किसी भी वक्त हम दीवालिया हो सकते हैं. हम एक महीने के अंदर आइलैंड जेड को बेच देंगे.। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं जिसका कारण शायद यह हो सकता है कि ना अगले कुछ साल न देश में चुनाव है और न गुजरात राज्य में शायद तभी सरकार इस प्रोजेक्ट के ऊपर कोई ध्यान नहीं दे रहे क्योंकि अगले कुछ समय के लिए दोनों की सत्ता उन्हीं के हाथ में हैऔर हो सकता है जब चुनाव राज्य में या देश में फिर होंगे तो शायद इस सर्विस को शुरू करने के लिए दोबारा से फिर कुछ कदम उठाए जाए जिसको सरकार अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें। लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि जो प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट था वह बदलते वक्त की टूटती नींद के साथ टूट गया है अब देखना यह होगा कि क्या सरकार हाल ही के समय में उसको दोबारा से शुरू कराने के लिए कोई काम करेगी या नहीं?
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