16 मई 2020,शालिनी सिंह
नई दिल्ली: लॉकडाउन के बीच देश के कई शहरों से अपने घर के लिए पैदल निकले प्रवासी मजदूरों से संबंधित एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई सड़क पर चलता है या नहीं, इस पर हम कैसे नजर रख सकते है? मजदूरों की सुविधाओं और उन्हें घर पहुंचाने की व्यवस्था को लेकर राज्य सरकारों को फैसला कर दीजिए।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कुछ दिन पहले हुए रेल हादसे में 16 मजदूरों की मौत हो गई थी। इस और कुछ अन्य मुद्दे को आधार बनाते हुए एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने यह याचिका दायर की थी।
कलेक्टरों को आदेश देने की मांग
याचिका में कहा गया था सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को सरल और परियों पर चल रहे मजदूरों के रहने खाने, और उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था कराने के लिए आदेश दे। याचिका में औरंगाबाद रेल हादसे का मुख्य तौर पर उल्लेख किया गया था। इसके अलावा यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में हुई सड़क दुर्घटनाओं इन मजदूरों की मौत का भी जिक्र किया गया।
मजदूरों को कैसे रोका जा सकता है?
याचिका के मुताबिक, सरकार मजदूरों के लिए तमाम व्यवस्थाओं का दावा कर रही है लेकिन यह सच्चाई नहीं है तीन जजों की बेंच में शामिल जस्टिस एलएन राव ने कहा लोग सड़क पर चल रहे हैं तो उन्हें कैसे रोका जा सकता है जस्टिस संजय किशन कौल बोले “ याचिका सिर्फ अखबारों की खबरों पर आधारित है। लोग सड़क पर जा रहे हैं। पैदल चल रहे हैं। कोई रेल की पटरियों पर सोता है तो उसे कैसे रोका जा सकता है? अच्छा होगा इस मामले में राज्य सरकारों को फैसला लेने दिया जाए”
केंद्र सरकार ने कहा, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था हुई फिर भी लोग पैदल जा रहे हैं
सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि, क्या पैदल चलकर जा रहे मजदूरों को किसी तरह से रोका जा सकता है? इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरन तुषार मेहता ने कहा राज्य सरकारें मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। इसके बावजूद भी लोग निकल रहे हैं। वह इंतजार करने भी तैयार नहीं है। उन्हें रोकने के लिए ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, इसके विरोध में हालात बिगड़ने का खतरा है।
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