upendra kumar paswan
19 May 2020
जब से भारत मे लॉकडाउन की घोषणा हुई है तब से आम मजदूरों के लिए खटिया खड़ा हो गया है। हां मैं उस इंसान के बारे में बात कर रहा हूं जो लॉकडाउन की मार आम गरीब इंसान किसान मजदूर पर पड़ा है जैसे जैसे लॉकडाउन की स्थिति धीरे-धीरे आगे बढ़ने की तिथि की घोषणा की जा रही है, वहीं मजदूरों के लिए महामारी की मार से जूझना पड़ रहा है। आम मजदूरों की समस्या इतना गंभीर होते जा रहा है जैसे लगता है इस पर तेल छिड़ककर मजदूरों को चरम स्थित पर पहुंचाने के कगार पर हो गए है। लॉकडाउन की तिथि की घोषणा तो सरकार कर देती है लेकिन सबसे ज्यादा आज की समय में समस्या ज्यादा उन लोगों के लिए आ गया है जो नेशनल हाईवे, नदी नाले, रेल के पटरी का सहारा लेकर नजर आते हैं भूखे प्यासे कई कोस दूर घर जाने के लिए तैयार हो गए है। आम मजदूर करे तो करे क्या आखिर उनका सहारा देने के लिए आज कोई नही सामने आता है। अगर पैदल किसी तरह अपने गंतव्य तक पहुंचना चाहते है, लेकिन आखिर एक तरफ भूख से जान चली जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सड़क हादसे में अपना जान गंवा दे रहे है। आखिर कब तक सरकार इन मासूमों के ऊपर अन्याय करते रहेंगे क्या यह मजदूर आदमी भारत का अंग नहीं है, जो इनके ऊपर सौतेला व्यवहार अत्याचार किया जा रहा है। आखिर कब तक मजदूरों को दबाया जाएगा, कब तक कुचला जाएगा, कब तक भूखे मरते रहेंगे। इन लोगों का प्यास बुझाने के लिए सरकार ठोस कदम क्यों नहीं ले पा रही है। आखिर कारण क्या है, जब सरकार सत्ता में आने के लिए विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाते हैं आम मजदूरों के सामने हाथ जोड़कर अपना सत्ता बनाने के लिए सारी ताकत झोंक देते हैं शायद मुझे लगता है आज उन मजदूरों के ऊपर ऐसा ही हाथ जोड़कर उनके सामने जाकर जरूरी वस्तुओं को दे भूखे प्यासे ना मारे रोड में ना मारे क्योंकि आज गरीब लोगों के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आज लोग पुराने दिनों को याद करते हैं एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोगों के बीच साधन नहीं था जिसके कारण लोग पैदल कई कोस दूर चले जाते थे। लेकिन आज भारत में सभी वाहनों की पूर्ति भरपूर मात्रा में है लेकिन लोगों को नहीं मिल पा रहा है। भारत ऐसे देशों में इस तरह का खौफनाक मंजर सामने कभी नहीं आया था और और कभी ना आएगा। लेकिन हर तरफ मजदूरों को ही सताया जा रहा है। कई ऐसे जगह है जहां लोग भूख से अपना दम तोड़ रहे हैं फिर भी सरकार चुप्पी साधी हुई है। ऐसी घटना सुनने के बाद लोगों के ऊपर खलबली मच जाती है और विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाने लगते हैं। वही एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुड़ जाते हैं वही ऐसी घटनाओं में सरकारी पदाधिकारी भी चपेट में आ जाते हैं। आखिर लोग कब तक चुप रहेंगे कब तक अपनी खामियों को छुपाए रखेंगे ऐसी खौफनाक घटना सुनकर धड़कनें तेज हो जाती है।







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