छिदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिदवाड़ा जिले में मोहब्बत के लिए जान देने वाले प्रेमी युगल की याद में पत्थर बजी की रसम निभाई गयी थी. इस रस्म की वजह से २५९ लोग घायल हो गए है और जिसमे से ४ लोग गंभीर भी हैं. इस रस्म को गोटमार मेला कहा जाता है. प्रशासन ने सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के साथ मेला क्षेत्र में निषेधाज्ञा (धारा 144) लगा दी, फिर भी पत्थरबाजी नहीं रुक पाई. पुलिस को बढ़ते उपद्रव को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े.
मेला के दौरान पत्थरबाजी को रोकने के व्यापक प्रबंध किए गए थे, निषेधाज्ञा लगाकर गोफान, हथियार आदि लेकर आने पर प्रतिबंध लगाया था। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर लगभग एक हजार पुलिस जवानों की तैनाती है, साथ ही चार चलित अस्पताल मौके पर थे, जिसके चलते घायलों का उपचार मौके पर ही कर दिया गया।
एक तरफ पत्थरबाजी चल रही थी तो दूसरी ओर कई स्थानों पर उपद्रवियों ने उपद्रव मचाया। कई जगह तोड़फोड़ की। एक एम्बुलेंस को भी निशाना बनाया।
ऐसा कहा जाता है की , सावरगांव के लड़के को पांढुर्ना गांव की लड़की से मुहब्बत थी, वह लड़की को उठा ले गया। इस पर दोनों गांवों में तनातनी हुई, पत्थरबाजी चली। आखिरकार प्रेमी युगल की नदी के बीच में ही मौत हो गई। उसी घटना की याद में यहां हर साल गोटमार मेला लगता है। परंपरा को निभाते हुए दोनों गांवों के लोग एक-दूसरे पर जमकर पत्थर चलाते हैं। जिस गांव के लोग नदी में लगे झंडे को गिरा देते हैं, उसे विजेता माना जाता है।
परंपरा के मुताबिक जाम नदी के बीच में सोमवार की रात को पलाष वृक्ष को काटकर गाड़ा गया, उसमें लाल कपड़ा, नारियल, तोरण, झाड़ियों आदि बांधकर उसका पूजन किया गया। मंगलवार की सुबह पांच बजे वृक्ष का पूजन किया गया। दोपहर लगभग 12 बजे से नदी के दोनों तटों पर लोगो ंके जमा होने का दौर शुरू हो गया। उसके बाद प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद पत्थरबाजी एक बार शुरू हुई तो वह शाम सात बजे तक चलती रही।
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